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भागलपुर: कहते हैं श्मशान पहुंच चुका शव वापस नहीं लौटता. स्थानीय लोग भी कहते हैं कि बरारी श्मशान घाट के बारे में कभी ऐसा नहीं सुना गया कि मोटी रकम का भुगतान नहीं करने पर कभी कोई शव लौटाया गया हो. लेकिन बरारी श्मशान घाट पर ऐसा हुआ. कोरोना वायरस की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुके एक बैंक अधिकारी का शव इसलिए लौटा कर अस्पताल लाना पड़ गया कि घाट पर उसके दाह-संस्कार के बदले पहले डेढ़ लाख फिर 50 हजार रुपये की मांग की गयी थी.

प्रभारी डीएम ने निगम को लगाई फटकार, विद्युत शवदाह गृह को चालू कराया

प्रभात खबर ने इस मामले को प्रमुखता से उठाया. इस पर लगातार खबरों का प्रकाशन जारी रखा. इसका एक असर यह हुआ कि प्रभारी डीएम अरुण कुमार सिंह की फटकार बुधवार को सुनने के बाद गुरुवार को निगम ने विद्युत शवदाह गृह को चालू कराया. अच्छी बात यह रही कि प्रभारी डीएम ने मामले को यहीं नहीं छोड़ा. उन्होंने सदर एसडीओ व डीएसपी को निर्देश दिया है कि कोरोना संक्रमित उस अधिकारी का दाह-संस्कार किस परिस्थिति में ससमय नहीं हो सका, इसकी जांच कर रिपोर्ट दें.

श्मशान घाट पर शव का नहीं हो पाया था दाह संस्कार

बता दें कि बरारी श्मशान घाट पर शव का दाह संस्कार नहीं होने के बाद पीड़ित पत्नी यह कहते हुए घर लौट गयी कि अब भागलपुर कभी लौट कर नहीं आना है. घटनाक्रम के 72 घंटे बाद प्रशासनिक हस्तक्षेप पर 14 जुलाई की रात दो बजे दाह संस्कार किया गया. यह स्थिति तब बनी, जब प्रशासन ने कोरोना संक्रमित शव के दाह संस्कार के लिए नौ जुलाई को रोगी कल्याण समिति की बैठक में आठ हजार रुपये प्रति अंतिम संस्कार तय किया था.

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