ऋषव मिश्रा कृष्णा ‘मुख्य संपादक जीएस न्यूज ‘
कोरोना काल ने इलाके की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से चौपट कर दिया है. दो माह लॉक डाउन रहने के बाद अभी लोगों ने चैन की सांस भी नहीं ली थी कि एक बार फिर से लॉक डाउन ने खास कर छोटे और मंझोले कारोबारियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है. लेकिन जो कर्मयोगी हैं, जिन्हें जीने का हौसला है, जो वक्त की आंखों में आंखें डाल कर दो दो हाथ करने की हिम्मत रखते हैं, वे कोई न कोई रास्ता निकाल ही लेते हैं. लॉक डाउन के बाद नवगछिया में ढाई सौ से अधिक लोगों ने अपना घंधा बदल लिया है. ऐसे लोगों ने माहौल के अनुकूल ऐसा धंधा ईजाद किया है जो समय के हिसाब से सटीक है. वास्तव में इस मुश्किल समय मे ऐसे लोगों की कहानी कई लोगों के लिये प्रेरणास्रोत का काम कर रही है.
अब आम बेचने लगे हैं मुन्ना
राजेंद्र कॉलोनी निवासी मुन्ना पासवान नवगछिया स्टेशन पर पान दुकान चलाते थे अब आम बेच रहे हैं. मुन्ना पासवान ने बताया कि लॉक डाउन में पान बेचने की मनाही थी. पिछले दिनों नवगछिया में 28 दिन कंटेन्मेंट जोन और करीब दो माह सख्त लॉक डाउन में कुछ भी कमाई नहीं हुई. जमा रकम खर्च हो गया. ऐसी स्थिति पुनः लॉक डाउन आ गया. अब अगर कमाई नहीं होती तो घर चलाना मुश्किक था. इसलिये उन्होंने आम बेचने का निर्णय लिया और अपनी पान की दुकान को आम दुकान बना दिया.
पान की जगह बेच रहे हैं मास्क
लॉक डाउन से पहले मख्खतकिया में पप्पू दास पान पुड़िया की दुकान चलाते थे. लॉक डाउन में पान की दुकान खोलने पर पुलिस की नजरों पर चढ़े रहते थे. फिर पप्पू ने देखा कि मास्क की बिक्री खूब हो रही है. पप्पू ने अपनी पान की दुकान को समेट कर एक हजार रुपये का मास्क बनवाया और बेचने लगे. प्रोफेसर कॉलोनी के कुंदन कुमार नवगछिया स्टेशन पर अंडा, चावमिन, फास्ट फूड बेचा करते थे. एक तो सावन उपर से लॉक डाउन ऐसे में फास्ट फूड की दुकान का चलाना मुश्किल था. ऐसी स्थिति में कुंदन ने अनारस बेचने का नया घंधा शुरू किया है.