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नवगछिया- बड़ी घाट ठाकुरबाड़ी में आयोजित महारूद्र यज्ञ को लेकर रुद्री के महत्व को बताते हुए वैदिकाचार्य पं० ललित शास्त्री ने बताया कि एक पाठ से बाल ग्रहों की शांति होती है। तीन पाठ से उपद्रव की शांति होती है। पांच पाठ से ग्रहों की, सात से भय की, नौ से सभी प्रकार की शांति और वाजपेय यज्ञ फल की प्राप्ति और ग्यारह से राजा का वशीकरण होता है और विविध विभूतियों की प्राप्ति होती है।

इस प्रकार ग्यारह पाठ करने से एक लघु रुद्र का पाठ होता है। वहीं यज्ञ के दसवें दिन की कथा मत्स्य महापुराण का वाचन विद्यावाचस्पति डॉ० श्रवण शास्त्री जी ने मत्स्य और कश्यप के बाद वराह अवतार का वर्णन किया। शिव महापुराण की कथा का वाचन महंत सिया वल्लभ शरण महाराज जी ने और श्री राम कथा का वाचन बैधनाथ धाम के संत महेंद्र शास्त्री ने क्रमशः किया। दिन के अभिषेक में अजय रूंगटा सपत्नीक पदम्जा रूंगटा, गुड्डू रूंगटा, सुनीता रूंगटा, रितेश, श्रेयम और रात के अभिषेक में निरंजन झा सपत्नीक प्रो ० डॉ० देवहूति कुमारी, हिमांशु शेखर झा , नमिता ठाकुर ने.

सपरिवार सहित भाग लिया। मौके पर अभिषेक के मुख्य यजमान अविनाश मिश्रा सपत्नीक तृप्ति मिश्रा, शिव महापुराण के मुख्य यजमान मिलन सागर एवं मत्स्य महापुराण के मुख्य यजमान विश्वास झा सपत्नीक शिखा कुमारी, अध्यक्ष त्रिपुरारी कुमार भारती, सचिव प्रवीण भगत, मंच व्यवस्था प्रमुख अजीत कुमार, कृष्ण भगत, संयोजक कांतेश कुमार उर्फ टीनू, संतोष यादुका, सुमित भगत, शंकर जायसवाल, धनश्याम मिश्रा, पं० लक्ष्मण पाठक, सत्यम, सुंदरम, शांतनु, शिवम सहित सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ यज्ञशाला में उमड़ी रही।

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