बिहार के मुजफ्फरपुर में नीतीश्वर कॉलेज के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर ललन कुमार अभी काफी अधिक सुर्खियों में हैं।
ऐसा इसलिए कि उन्होंने सुर्खियों में आने के लिए नटवरलाल को भी पीछे छोड़ दिया है। छात्रों की कम उपस्थिती और नहीं पढ़ा पाने की कसक दिखाते हुए अपना तीन साल का वेतन लौटाने को लेकर चर्चा में आये प्रोफेसर डॉ ललन कुमार ने अब लिखित माफी मांग ली है।
कॉलेज में पढ़ाई न होने का आरोप लगाते हुए 23.82 लाख रुपये लौटाने वाले प्रोफेसर ने कहा कि उन्होंने भावावेश में ये कदम उठा लिया है, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि उन्होंने गलत फैसला ले लिया है।
प्रोफेसर ने लिखा है कि 3 साल में उन्होंने 6 बार अपनी ट्रांसफर करने की बात लिखी थी लेकिन इस पर कोई ऐक्शन नहीं लिया गया तो वे अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं कर पाए और अपनी समूची सैलरी लौटाने की बात लिख दी।
ललन कुमार ने कहा है कि पत्र लिखने के बाद जब उन्होंने अपने सीनियर और सहयोगियों से इस मुद्दे पर चर्चा की तब उन्हें समझ में आया कि ऐसा नहीं करना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि अब आगे कभी भी भावावेश में वे ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे, जो विश्वविद्यालय और कॉलेज के आचरण के अनुरूप नहीं हो।
यहां उल्लेखनीय है कि सहायक प्रोफेसर डॉ ललन कुमार ने एक भी छात्र को नहीं पढ़ा पाने का हवाला देकर वेतन के 23.82 लाख रुपये विश्वविद्यालय को लौटा देने की पेशकश की। ऐसा दावा जब सामने आया तो इसकी हकीकत को जानने का प्रयास किया गया।
बताया जाता है कि जिस अकाउंट नंबर का चेक उन्होंने विश्वविद्यालय को दिया था, उसमें सिर्फ 970.95 रुपये ही हैं। इधर, नीतीश्वर महाविद्यालय शिक्षक संघ, बुटा ने बैठक किया, जिसमें प्रोफेसर ललन भी शामिल रहे। बूटा की नीतीश्वर महाविद्यालय ने प्रेस कांफ्रेस करके भी इस मुद्दे पर पक्ष रखा।
बैठक के बाद पत्र जारी कर बताया गया कि खुद प्रोफेसर ललन कुमार ने कहा है कि उनके दावे को गलत तरीके से मीडिया ने दिखाया गया। कक्षा में छात्रों की उपस्थिति कम को लेकर कहा लेकिन मीडिया ने उसे शून्य दिखाया।
वहीं बुटा के सचिव डॉ. रवि रंजन ने कहा कि प्रोफेसर ललन कुमार का मुद्दा कक्षा में छात्रों की कम संख्या नहीं बल्कि उनका ट्रांसफर है, जिसके बारे में प्रोफेसर ललन कुमार इससे पहले भी कई बार कई सोशल मीडिया के कई चैनलों को बता चुके हैं।