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भागलपुर : जेएलएनएमसीएच स्थित इमरजेंसी कंट्रोल रूम के पास 72 घंटे से कोरोना पीड़ित एक कैदी का शव पड़ा हुआ है। अस्पताल के अनुसार शुक्रवार को ही कैदी की मौत हुई थी। शव को दाह संस्कार के लिए नहीं भेजा गया है। शव को प्लास्टिक में पैक नहीं किया गया है। खुले में पड़े डेड बॉडी होने से इमरजेंसी में संक्रमण फैलने की संभावना बढ़ गई है। हैरत की बात यह है कि शव के पास मरीज, चिकित्सक से लेकर अन्य कर्मचारी भी गुजरे हैं। लेकिन, अस्पताल प्रबंधन ने शव को हटाने के लिए किसी तरह का इंतजाम नहीं किया। नतीजतन, सभी लोग संक्रमण से काफी डरे सहमे हुए हैं।

रविवार की रात अस्पताल कर्मियों ने बताया कि शुक्रवार को ही एक कैदी की मौत हो गई थी। जांच रिपोर्ट में कोरोना की पुष्टि हुई थी। कैदी के मरने के बाद शव को बिना प्लास्टिक में बांधे हुए इमरजेंसी कंट्रोल रूम के पास रख दिया गया है। इस लापरवाही की वजह से कोरोना की चेन लंबी हो सकती है।


दरअसल, जेएलएनएमसीएच की इमरजेंसी में सौ की संख्या में मरीज भर्ती हैं। हर दिन 10 से 15 मरीज इमरजेंसी में इलाज कराने के लिए पहुंचते हैं। ऐसे में खुले में शव का पड़ा रहना बड़े संक्रमण की ओर इशारा कर रहा है। स्वास्थ्य मैनेजर ने कहा कि न बंदी के परिजन डेड बॉडी लेने आए हैं और न ही शव ले जाने वाला वाहन ही पहुंचा है। चिकित्सक स्वास्थ्य कर्मी भी इमरजेंसी में जान जोखिम में डालकर काम कर रहे हैं। अस्पताल प्रशासन के इस लापरवाही से पूरे सिस्टम पर सवाल उठने लगे हैं।

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