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संचालक का बोलबाला

नवगछिया। अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत बिहपुर और नारायणपुर प्रखंड क्षेत्रों में अवैध क्लीनिक और अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र बेरोकटोक जोरशोर से चल रहा है। बिहपुर, नारायणपुर में अवैध क्लिनिक और अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र में नियम को ताक पर रखकर सभी काम हो रहा है। क्लीनिक वैध है या अवैध इसका प्रमाण तो स्वास्थ्य विभाग भी अभी तक नहीं दे पाया है।

स्वास्थ्य विभाग ने भी जांच के नाम पर केवल खाना पूर्ति कर दिया है। गौरतलब हो कि विगत मार्च महीने में भागलपुर सिविल सर्जन डॉक्टर अंजना कुमारी के द्वारा नारायणपुर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी को पत्र प्रेषित किया गया था। जिसमे क्लिनिक नर्सिंग होम एवं पैथोलॉजी के वैधता से संबंधित प्रतिवेदन उपलब्ध कराने की बात कही थी। इस बारे में पीएचसी नारायणपुर के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ विनोद कुमार ने बताया कि तीन क्लीनिक और एक अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र और एक एक्सरे जाँच सेंटर का जांच किया गया है लेकिन सिविल सर्जन डॉक्टर अंजना कुमारी ने प्रभारी डॉ बिनोद कुमार के जाँच को असंतोष जनक बताया है। बिहपुर में उर्मिला क्लीनिक को भी पूर्ण रूपेण वैध नहीं कहा जा सकता है। यहाँ भी ईलाज के नाम पर आर्थिक दोहन होता है। मरीज़ों की जानें जा रही है अलग। इधर नारायणपुर के मधुरापुर में पाँच क्लीनिक और पहाड़पुर में एक क्लीनिक का संचालन हो रहा है।

केवल मथुरापुर में चार अल्ट्रासाउंड जांच केंद्र और तीन एक्सरे जाँच सेंटर है। मधुरापुर क्लिनिक अल्ट्रासाउंड का हब बन गया है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पहाड़पुर में जो क्लिनिक संचालित हो रहा है उसका भी वैध होने का कोई प्रमाण नहीं है। मुधुरापुर में तो हद है। यहां बड़े-बड़े डॉक्टर का बोर्ड लगाकर सिजेरियन बच्चेदानी का ऑपरेशन अपेंडिक्स, हर्निया सहित कई प्रकार के अवैध काम भी किया जाते हैं। एक क्लीनिक तो ऐसा भी है जिसका कोई नाम नहीं है केवल किराए पर मकान लिया है और वहां सर्जरी का काम हो रहा है। 2 वर्ष पहले अवैध क्लिनिक होने का प्रमाण भी मुधुरापुर में मिला है। जिसमें प्राथमिक की भी दर्ज हुई है और जेल भी क्लीनिक संचालक गया है। फिर भी क्लीनिक का खुलने और क्लीनिक का संचालन यहां बंद नहीं हुआ है। स्वास्थ्य विभाग के जांच पर भी लोग उंगली उठा रहे हैं। नाम नहीं छापने के शर्त पर एक डॉक्टर ने कहा कि यहां एक भी वैसा क्लिनिक पंजीकृत नहीं है जो सर्जरी कर सकता है। स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे सारा खेल हो रहा है और स्वास्थ्य विभाग अंधा बना है, आखिर ऐसा क्यों।

जांच की जब बात आती है तो सभी क्लीनिक और अल्ट्रासाउंड संचालक अपना क्लीनिक बंद करके जांच टीम को बताते हैं कि यहां कुछ नहीं होता है और जांच टीम सब कुछ जानते हुए वहां कार्रवाई नहीं करती है। जांच में क्लीनिक के बारे में कहा गया है लेकिन किसी भी क्लीनिक का नाम या कौन संचालित कर रहा है इसका संचालक कौन है इसका उल्लेख नहीं किया गया है। ज्ञात हो कि विगत शुक्रवार को बिहपुर के मां उर्मिला क्लिनिक में इलाज के लापरवाही के कारण एक जच्चे कि मौत हो गई। मृतक के परिजन मां उर्मिला क्लिनिक के डॉक्टर राजेंश कुमार पर लापरवाही का आरोप लगा कर शव के उसके क्लिनिक के सामने रखकर धरना प्रदर्शन किया था। कई थानों की पुलिस पूरी रात क्लिनिक पर कैंप किए थे।

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