0
(0)

नवगछिया : बिहपुर प्रखंड के गुवारीडीह की सभ्यता चंपा की नगरीय सभ्यता की पृष्ठभूमि है. पुरातत्वविदों ने इसकी ऐतिहासिकता पर मुहर लगा दी है. तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्व विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर बिहारी लाल चौधरी ने एक प्रेस रिलीज जारी करते हुए कहा है कि जब से गुवारीडीह से पुरातात्विक अवशेष मिलना शुरू हुआ है, उसी समय से वे लोग गुवारीडीह पर नजर बनाये हुए हैं. उनके नेतृत्व में एक टीम ने स्थलीय सर्वे भी किया था. टीम में शिव शंकर सिंह पारिजात प्रोफेसर रमन सिन्हा डॉ पवन शेखर डॉ दिनेश कुमार गुप्ता छात्र अविनाश और रिंकी भी थे.

विभाग के तरफ से एक प्रेस रिलीज जारी कर बताया गया है कि कोसी के जलस्तर में कमी आने के कारण अब उस स्थल से ग्रामीणों को बड़ी संख्या में पुरातात्विक अवशेषों की प्राप्ति हो रही है जिसमें पक्की ईंटों द्वारा निर्मित दीवार की संरचना भी है जो उस स्थल पर नगर अधिवास का द्योतक है. ग्रामीणों द्वारा संग्रहित पूरा अवशेषों में बहुतायत संख्या में एनबी पीडब्ल्यू संस्कृति से जुड़ी अनेक रंगो वाले मृदभांड है. कृषि कार्य में प्रयुक्त होने वाले लौह उपकरण एवं औजार के अवशेष भी बड़ी संख्या में प्राप्त हो रहे हैं. मवेशियों के जीवाश्म और विभिन्न संस्कृति वाले विद्वान मानव निर्मित पाषाण उपकरण और औजार भी प्राप्त हुए हैं. यह स्थल 25°26′ 30.5″ उत्तरी अक्षांश 86°55′ 06.5′ पूर्वी देशांतर पर स्थित है. प्राप्त सामग्रियों से यह परिलक्षित होता है कि अस्थल ताम्र पाषाण संस्कृति का अवशेष हो सकता है. यहां से प्राप्त होने वाले एनबीपीडब्ल्यू के अवशेष से ऐसा लगता है कि यह अंत जनपद की राजधानी चंपा (वर्तमान भागलपुर) की पृष्ठभूमि रही होगी. सन 1960 ईस्वी में पुरातत्वविद प्रोफेसर बीपि सिन्हा द्वारा की गई चंपा की खुदाई से इसी प्रकार के एनबीपीडब्ल्यू अवशेष मिले थे.

इस आधार पर दोनों स्थलों में किसी ना किसी प्रकार का राजनीतिक एवं व्यापारिक संबंध होने का कयास लगाया जा रहा है. सभी बातों के उपरांत सबसे महत्वपूर्ण यह है कि इस स्थल का विधिवत पुरवा का त्रिक सर्वेक्षण और संरक्षण होना चाहिए तदोपरांत इस स्थल को पुरातात्विक उत्खनन किए जाने की आवश्यकता है.गुवारीडीह में पुरावशेषों के लिये लगातार सर्च अभियान का नेतृत्व कर रहे अविनाश कुमार ने कहा कि गुवारीडीह को लेकर ग्रामीण काफी उत्साहित हैं. दूसरी तरफ इलाके के लोग इस बात से आश्चर्यचकित हैं कि गंगा कोसी के मध्य में बसे नवगछिया की संस्कृति इतनी पुरानी है इस बात का अंदाजा उनलोगों को नहीं था. युवा अधिवक्ता रजनीश कुमार सिंह ने कहा सन 15 वीं, 16 वीं शताब्दि का जिक्र कुछ दस्तावेजों में मिलता है लेकिन 3000 साल पुरानी सभ्यता के साक्ष्य मिले हैं. गुवारीडीह अपने आप मे एक नायाब खोज है.नवगछिया के एसडीओ ई अखिलेश कुमार ने कहा कि पुरावशेष मिलने की सूचना उन्हें भी मिली है. जल्द ही स्थलीय निरीक्षण किया जाएगा.

Aapko Yah News Kaise Laga.

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

Share: