तिरासी रुद्र चंडी महायज्ञ में स्वामी आगमानंद महाराज ने 108 लोगों को दी आध्यात्मिक दीक्षा
नवगछिया अनुमंडल अंतर्गत सुकटिया तिरासी स्थित भगवती मंदिर के सामने श्री श्री रूद्र चण्डी महायज्ञ के सातवें दिन श्री शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया के पीठाधीश्वर और श्री उत्तरतोताद्रि मठ विभीषणकुंड अयोध्या के उत्तराधिकारी श्री रामचंद्राचार्य परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने शनिवार को एक सौ आठ नए लोगों को आध्यात्मिक दीक्षा दी। इन लोगों को स्वामी आगमानंद जी ने अपना शिष्य स्वीकार किया। इस दौरान वहां जय गुरुदेव भगवान की गूंज से गुंजायमान हुआ । सभी ने अपने गुरुदेव की पूजा की। यहां पहले से दीक्षित सैकड़ों शिष्यों ने भी उनकी पूजा अर्चना की। स्वामी आगमानंद जी महाराज के सानिध्य में काशी से यहां पहुंचीं मानस कोकिला हीरामणि, डॉ० श्रवण शास्त्री, भजन सम्राट डा. हिमांशु मोहन मिश्र दीपक जी और पंडित प्रेम शंकर भारती बारी-बारी से कथा मंच पर प्रवचन कर रहे हैं। कुंदन बाबा लगातार यज्ञ संचालन की मानिटरिंग कर रहे हैं। काफी संख्या में श्रद्धालुओं ने यज्ञ मंडप की परिक्रमा की एवं वहां स्थापित देवी-देवताओं की पूजा की। बच्चों ने मेले का खुब आनंद लिया।
स्वामी आगमानंद जी ने रामकथा सुनाते हुए कहा कि भगवान का जन्म लोगों कल्याण के लिए हुआ। उन्होंने लोगों को जीवन कैसे जीएं, इसकी सीख दी है। साधारण मानव की तरह उन्होंने व्यवहार किया। गीतकार राजकुमार के दीप गान से समारोह का शुभारंभ हुआ। डॉ.मृत्युंजय सिंह गंगा ने अतिथियों एवं आयोजक यज्ञ समिति के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित की। परमहंस स्वामी आगमानंद जी महाराज ने अपने आशीषयुक्त संबोधन में कहा कि अपना यह प्यारा भारतवर्ष, अवतारों, ऋषि-मुनियों,संत-महात्माओं एवं सिद्धों की धरती रही है और आगे भी रहेगी। हमें अपनी विरासत जो हमारी आर्ष परंपरा है, को अवश्य ही आत्मसात कर आगे बढ़ते रहना चाहिए, ताकि हमारा सद्संस्कार और गुरुजनों के प्रति समर्पण की भावना सदैव सुरक्षित एवं संरक्षित रहे। मंचसंचालन श्याम जी ने किया। यहां बता दें कि श्री श्री रूद्र चण्डी महायज्ञ का उद्घाटन तिमांविवि के कुलपति प्रो. (डॉ.) जवाहरलाल ने किया था।