भागलपुर: डॉल्फिन के संरक्षण को लेकर वन विभाग ने सुल्तानगंज से बटेश्वर स्थान तक को डॉल्फिन अभ्यारण क्षेत्र घोषित किया है और इस क्षेत्र में कई पाबंदियां भी लगा दी हैं। वन विभाग का साफ तौर पर कहना है कि सुल्तानगंज से बटेश्वर स्थान तक डॉल्फिन अभ्यारण्य का क्षेत्र है, जिसमें कोई भी मछुआरे मछली नहीं मार सकते, जाल नहीं फेंक सकते, और बंसी नहीं गिरा सकते।
अब सवाल यह उठता है कि मछुआरों का जो व्यवसाय मछली मारने का है और मछली मारकर अपने परिवार का भरण-पोषण करने का है, वह अब नहीं करेंगे तो कैसे जीविकोपार्जन करेंगे। वन विभाग के इस तानाशाही रवैये से तंग आकर मछुआरों ने हल्ला बोल प्रदर्शन किया है, और उनका प्रदर्शन भी काफी अनोखा था। सभी मछुआरे कहलगांव बटेश्वर स्थान से नाव के सहारे बरारी घाट पहुंचे और वहां पर सब मिलकर एक विशाल नौका जुलूस का आयोजन किया।
वन विभाग के अधिकारियों को अपनी परेशानी आकृष्ट करने के लिए यह प्रदर्शन किया गया। मछुआरों की मांगें हैं कि वे गंगा पर निर्भर हैं, मछली मारकर अपने परिवार का जीविकोपार्जन करते हैं। मछुआरे 1982 से यह लड़ाई लड़ रहे हैं, जब वन विभाग की मर्जी होती है, वे लोगों के जाल उठा कर ले जाते हैं, मारपीट करते हैं, और बेवजह पैसा लेते हैं। यह कहीं से सही नहीं है।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो वे यह आंदोलन उग्र करेंगे, क्योंकि उनका व्यवसाय ही मछली मारकर अपने परिवार को जीविकोपार्जन करना है। उन्होंने यह भी कहा कि डॉल्फिन अभ्यारण के नाम पर मछुआरों पर वन विभाग की पुलिस दबिश डालती है। अभी डॉल्फिन अभ्यारण के नाम पर मछुआरों को परेशान किया जा रहा है और इससे मुक्ति दिलाई जाए।