बिहपुर: माननीय पटना उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 और बिहार (शैक्षिक संस्थानों में प्रवेश में) आरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2023 पर रोक लगा दी है। प्रेस वार्ता के दौरान इस जानकारी को साझा करते हुए सर्वण सेना के प्रदेश अध्यक्ष सह समाजसेवी सानु सनगही ने बताया कि मुख्य न्यायाधीश विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने इन संशोधनों को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 का उल्लंघन बताया है।
सनगही ने कहा कि उच्च न्यायालय ने माना कि ये संशोधन इंदिरा साहनी मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय की नौ-न्यायाधीशों की पीठ द्वारा निर्धारित 50% की सीमा का उल्लंघन करते हैं। बिहार सरकार ने हाल ही में किए गए जनगणना सर्वेक्षण के आधार पर पिछड़ा वर्ग, अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के लिए आरक्षण का लाभ 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत कर दिया था।
खंडपीठ ने यह भी कहा कि ये संशोधन विरोधाभासी हैं और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि आरक्षण का लाभ केवल तभी दिया जा सकता है जब हाशिए पर रहने वाले वर्गों को विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों या विभिन्न पदों और सेवाओं पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिलता।
इसलिए, पटना उच्च न्यायालय ने इन संशोधनों को खारिज कर दिया और इन्हें समानता और न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन माना है।