नवगछिया : बिहार सरकार के सरकारी शिक्षक अब शिक्षा से ज्यादा संवेदक (कॉन्ट्रैक्टर) के काम में रुचि दिखा रहे हैं। शिक्षकों का शिक्षा के प्रति यह उपेक्षात्मक रवैया राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करता है। कई शिक्षकों ने ठेकेदारी के काम को प्राथमिकता देते हुए शिक्षा के क्षेत्र में अपने कर्तव्यों का पालन करने में कोताही बरती है।
नवगछिया अनुमंडल के कई दर्जन मध्य व उच्च विद्यालयों के शिक्षक ठेकेदार बनकर विद्यालय की योजनाओं के नाम पर पैसे का बंटाधार कर रहे हैं। नवगछिया अनुमंडल के रंगरा, गोपालपुर और इस्माईलपुर प्रखंड के कई विद्यालयों में हेड मास्टर और शिक्षकों की मिलीभगत से विभाग की विभिन्न योजनाओं पर कार्य किए जा रहे हैं।
एक तरफ जहां बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में अपर मुख्य सचिव के. के. पाठक की एंट्री के बाद लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आदेश जारी किए जा रहे हैं, शिक्षा को सुधार करनें में वो एड़ी चोटी एक किए हुए हैं । विद्यालयों को चमकाने और संवारने के लिए विभिन्न योजनाओं में राशि जारी की जा रही है। वहीं इन राशियों का काम के नाम पर बंटाधार किया जा रहा है । विद्यालय में कराए जा रहे कार्यों की गुणवत्ता जांच करने के लिए कोई पदाधिकारी नहीं आते हैं । वहीं विभाग के लिपिक कर्मचारी या डाटा ऑपरेटर की मिलीभगत से योजनाओं पर स्वीकृति दी जाती है, जो अपने विभाग के अधिकारी को विद्यालय पहुंचने नहीं देते हैं।
नवगछिया अनुमंडल के कई विद्यालयों में निम्न स्तर की ईंट, बालू, और सीमेंट का उपयोग कर निर्माण कार्य कराया गया है। प्लास्टर होने के बाद दीवार में निम्न स्तरीय सामग्री नजर नहीं आती और उसे रंग-रोगन कर दिया जाता है। कई विद्यालयों में टाइल्स भी निम्न कोटि की और नकली लगाई गई हैं। विद्यालयों के खिड़की और किवाड़ को भी एक तरफ से रंगा गया है जबकि पीछे वाले हिस्से को यूं ही छोड़ दिया गया है ताकि पेंट की कम खपत हो और पैसे बचाए जा सकें।
शिक्षकों के संवेदक बनने के बाद विद्यालय में ही शिक्षक कई गुटों में बंट गए हैं। कहीं शिक्षकों का मुंह बंद रखने के लिए विभिन्न प्रकार का नाश्ता या भोजन कराया जाता है तो कहीं बहसबाजी होती है। यह अधिकतर हाई स्कूलों में देखा जा रहा है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर एक बहुचर्चित हाई स्कूल के शिक्षक ने बताया कि उनके विद्यालय में एक बहुत ही तेज-तर्रार शिक्षक हैं जो हमेशा इसी तरह के कार्य में लगे रहते हैं। उनका विद्यालय की शिक्षा कक्षा और पढ़ाई-लिखाई से कोई लेना-देना नहीं रहता है। वे महीने में सिर्फ एक-दो दिन कक्षा में जाते हैं और बाकी समय संवेदक के काम में लगे रहते हैं। प्रधानाध्यापक के साथ मिलीभगत के कारण वे वर्षों से इस तरह का कार्य कर रहें हैं । वर्षों से एक ही विद्यालय में रहनें के कारण विभाग के लोगों के साथ भी उनकी अच्छी पैठ है, जिससे वे हर साल लाखों रुपये की कमाई करते हैं।
वहीं बताते चलें कि भागलपुर के विभिन्न प्रखंडों से आ रही रिपोर्ट्स में यह सामने आया है कि कई शिक्षक अपनी सरकारी नौकरी के साथ संवेदक के काम में भी लगे हुए हैं। इससे न केवल उनकी शिक्षण क्षमता प्रभावित हो रही है, बल्कि छात्रों की शिक्षा पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
वही इस मामले में नवगछिया के विभिन्न सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं के अभिभावक ने भी शिक्षा विभाग व नवगछिया अनुमंडल व भागलपुर जिले के पदाधिकारी से अपील की है कि वे विद्यालय में हो रहे कार्यों की जांच करें ।