नवगछिया: बाढ़ के दौरान पशुओं का उचित प्रबंधन करना बेहद महत्वपूर्ण है ताकि वे सुरक्षित और स्वस्थ रहें। इस संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए गए हैं:
- पशुओं के लिए ऊंचे स्थान का चयन: बाढ़ की संभावना में पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें ऊंचे स्थान पर स्थानांतरित करें, जहां जल निकासी की अच्छी व्यवस्था हो। इससे पशु परिसर साफ और सूखा रहेगा, और गर्मी तथा नमी से उत्पन्न होने वाले रोगों से बचाव होगा।
- सफाई और कीटनाशक का उपयोग: पशुशाला को साफ और स्वच्छ रखने के लिए समय-समय पर कीटनाशक का छिड़काव करें। नमी से बचाव के लिए पशुशाला में चूने का छिड़काव भी करें।
- संतुलित आहार और साफ पानी: पशुओं को संतुलित आहार और ताजा पानी उपलब्ध कराएं। बाढ़ में डूबी घास या भीगा हुआ भूसा न दें, इससे बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
- परजीवी नाशक दवा का प्रयोग: बाढ़ के दौरान परजीवी और बाहरी परजीवी का प्रकोप बढ़ जाता है। इससे बचने के लिए पशुओं में कृमि नाशक दवा का उपयोग करें।
- मृत पशुओं का निस्तारण: मृत पशुओं से बीमारियों के फैलने की संभावना अधिक होती है, इसलिए उनका निस्तारण सावधानीपूर्वक करें।
- बीमार और घायल पशुओं का प्रबंधन: बीमार और घायल पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखें और उन्हें आवश्यक चिकित्सा सहायता प्रदान करें।
बाढ़ के दौरान अपनाएं ये सावधानियां:
- बाढ़ के पानी में प्रवेश न करें। यदि आवश्यक हो तो उपयुक्त जूते पहनें और सुरक्षित स्थान पर रहें।
- बिजली के खंभों और गिरी हुई बिजली लाइनों से दूर रहें।
- फंसे हुए लोगों और पशुओं की मदद के लिए आपातकालीन सेवाओं से संपर्क करें।
- ताजा पका हुआ भोजन ही खाएं और साफ पानी पिएं।
बाढ़ के बाद ध्यान रखने योग्य बातें:
- बच्चों को बाढ़ के पानी के पास खेलने न दें।
- बाढ़ के पानी में रहे भोजन का सेवन न करें।
- अपने घर की सफाई और कीटाणुनाशकों का उपयोग करें।
- मलेरिया से बचाव के लिए मच्छरदानी का उपयोग करें।
बाढ़ की स्थिति में इन उपायों को अपनाकर आप अपने पशुओं को सुरक्षित और स्वस्थ रख सकते हैं, और खुद भी सुरक्षित रह सकते हैं।