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नवगछिया अनुमंडल के गोपालपुर प्रखंड में स्थित गोसाई गांव में कुशी अमावस्या के पावन अवसर पर पारंपरिक धार्मिक रीति-रिवाजों का आयोजन हुआ, जिसमें ब्राह्मण समाज के लोगों ने पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ कुश उखाड़ने की प्राचीन परंपरा का पालन किया। इस ऐतिहासिक आयोजन ने पूरे क्षेत्र में एक धार्मिक और सांस्कृतिक माहौल का निर्माण किया, जिसमें गांव के प्रतिष्ठित शिक्षकों, समाजसेवियों और व्यवसायियों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।

कुश उखाड़ने की परंपरा और उसका महत्व

कुशी अमावस्या हिन्दू पंचांग के अनुसार एक महत्वपूर्ण धार्मिक पर्व है, जिसे विशेष रूप से ब्राह्मण समाज द्वारा मनाया जाता है। इस दिन कुश उखाड़ने की परंपरा सदियों से चली आ रही है, जिसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व अत्यधिक है। ऐसा माना जाता है कि कुश का उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों में पवित्रता और शांति के लिए किया जाता है, और यह परंपरा हमारे पूर्वजों से हमें विरासत के रूप में मिली है।

गोसाई गांव के ब्राह्मण समाज ने इस परंपरा को संजीवनी दी है, जहां हर वर्ष कुशी अमावस्या के दिन कुश उखाड़ने की विधि का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी गांव के लोगों ने इसे पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ सम्पन्न किया, जिसमें हर आयु वर्ग के लोगों ने भाग लिया।

इस आयोजन में प्रमुख भूमिका निभाने वाले शिक्षक कालीचरण मिश्र ने कहा, “कुशी अमावस्या का दिन हमारे समाज के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। कुश उखाड़ने की यह परंपरा हमें हमारे पूर्वजों से मिली है, और इसे जीवित रखना हमारी जिम्मेदारी है। यह परंपरा हमें हमारे धर्म और संस्कृति से जोड़ती है।”

शिक्षक रजनीश बौवा ने कहा, “आज के समय में जब हमारी परंपराएं विलुप्त होने की कगार पर हैं, ऐसे में इस तरह के आयोजन हमें हमारी जड़ों से जोड़ने का कार्य करते हैं। यह समाज के सभी वर्गों को एक साथ लाने और सामूहिकता की भावना को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।”

समाजसेवी प्रकाश चंद्र मिश्र ने भी इस मौके पर अपनी बात रखते हुए कहा, “गोसाई गांव के ब्राह्मण समाज ने इस परंपरा को जीवंत रखा है। यह केवल एक धार्मिक कृत्य नहीं है, बल्कि हमारे सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज की पीढ़ी को इसे समझना और आगे बढ़ाना चाहिए।”

व्यवसायी फूल कुमार झा का योगदान

गोसाई गांव के व्यवसायी फूल कुमार झा ने भी इस आयोजन में भाग लिया और इस परंपरा के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “कुश उखाड़ने की यह परंपरा हमारे समाज की धरोहर है, जिसे संजोना और संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है। आज की व्यस्त जीवनशैली में ऐसे आयोजन हमें हमारे मूल्यों और संस्कारों से जोड़ते हैं। हमें गर्व है कि हमारे गांव में इस परंपरा का इतने वर्षों से निर्वहन हो रहा है।”

कुशी अमावस्या के इस पावन अवसर पर गोसाई गांव में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। गांव के हर घर से ग्रामीण कुश उखाड़ने के बाद उसे धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग के लिए रखा गया। इस पावन दिन को लेकर गांव में उत्साह का माहौल रहा, और लोगों ने इसे अपने-अपने ढंग से मनाया।

सांस्कृतिक धरोहर का संरक्षण और सामाजिक एकजुटता का संदेश

गोसाई गांव के ब्राह्मण समाज द्वारा आयोजित यह धार्मिक आयोजन पूरे क्षेत्र में एकजुटता और सांस्कृतिक समरसता का संदेश फैलाने में सफल रहा। इस तरह के आयोजन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण का भी प्रतीक हैं। इस प्रकार की परंपराएं हमारे समाज को मजबूती प्रदान करती हैं और हमें हमारी जड़ों से जोड़े रखती हैं।

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