0
(0)

सुप्रीम कोर्ट ने केरल के ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रशासन में त्रावणकोर शाही परिवार के अधिकार को बरकरार रखा। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के मामलों के प्रबंधन वाली प्रशासनिक समिति की अध्यक्षता तिरुवनंतपुरम के जिला न्यायाधीश करेंगे।

कोर्ट ने केरल उच्च न्यायालय के 31 जनवरी 2011 के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें राज्य सरकार से श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का नियंत्रण लेने के लिए न्यास गठित करने को कहा गया था।

माना जाता है कि यह भारत का सबसे अमीर मंदिर है। कुछ साल पहले यह मंदिर तब चर्चा में आया था जब एक लाख करोड़ से अधिक का खजाना वहां मिला था, कहते हैं कि इससे कहीं अधिक वहां के तहखानों में बंद है। अब यह मंदिर एक बार फिर से चर्चाओं में है। 2016 में यहां से 186 करोड़ रुपये का सोना चोरी भी हो गया था।

कहा जाता है कि 10 वीं शताब्दी में इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। हालांकि कहीं-कहीं इस मंदिर के 16वीं शताब्दी के होने का भी जिक्र है। लेकिन यह काफी साफ है कि 1750 में त्रावणकोर के एक योद्धा मार्तंड वर्मा ने आसपास के इलाकों को जीत कर संपदा बढ़ाई।

त्रावणकोर के शासकों ने शासन को दैवीय स्वीकृति दिलाने के लिए अपना राज्य भगवान को समर्पित कर दिया था। उन्होंने भगवान को ही राजा घोषित कर दिया था। मंदिर से भगवान विष्णु की एक मूर्ति भी मिली है जो शालिग्राम पत्थर से बनी हुई है।

Aapko Yah News Kaise Laga.

Click on a star to rate it!

Average rating 0 / 5. Vote count: 0

No votes so far! Be the first to rate this post.

Share: