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डुमरिया में आरती वंदना के साथ लगा हलुआ पुरी का भोग

नवगछिया : रंगरा और गोपालपुर प्रखंड अन्तर्गत विभिन्न दुर्गा मंदिरों के आसन पर मैया भगवती विराजमान होकर अपनी छटा बिखेर रही है। नवरात्रि के आठवें दिन महाअष्टमी को माता के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा अर्चना में भक्तो की कतार विषेशकर संध्या आरती को उमर पड़े। शंखनाद और घंटे की आवाज के साथ साथ भक्तों के जयकारे से मंदिर प्रांगण गूंजायमान हो गया। आरती वंदना के बाद मैया का पट भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया। भक्त मैया को खुश करने के लिए कहीं डालीया तो कहीं पूजन सामग्री चढ़ा कर प्रसन्न करने में लगे देखे गए। विभिन्न मंदिरों को अद्भुत तरीके से सजाया गया है। क्षेत्र अंतर्गत डुमरिया, सैदपुर करचिरा, रंगरा, सधुआ, कुमादपुर, अजमाबाद, झल्लूदास टोला सहित कई जगहों पर विभिन्न मंदिरों में मैया की प्रतीमा स्थपित की गई है। यहां के अधिकांश पूजा स्थलों पर मेला का आयोजन किया गया। कई जगहों पर मैया की जयकारे के लिए भक्ति जागरण कार्यक्रम का भी अयोजन किया गया।

परंपरा अनुसार डुमरिया में संध्या आरती के बाद मां को लगाया हलुआ पुरी का भोग।

महाअष्टमी के दिन संध्या वंदना के बाद शंखनाद और घंटे की आवाज तथा भक्तों के जयकारे के साथ हीं मैया का पट खोल दिया गया। डुमरिया के मैया भगवती को महाअष्टमी के दिन संध्या आरती करते हुए परंपरा अनुसार सबसे पहले पूजा समिति के द्वारा हलुआ और पुरी का भोग लगाया गया। जिसके बाद मन्दिर प्रागंण में पहुंचने वाले सभी श्रद्धालुओं ने मैया को प्रसन्न कर अपनी मनौती रखने के लिए श्रद्धा और प्रेम के साथ हलुआ और पुरी का भोग लगाया गया। हलुवा और पुरी का भोग लगाने के लिए महिला और पुरुष श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। शंखनाद और घंटे की आवाज के साथ साथ भक्तों के जयकारे से मंदिर प्रांगण गूंजायमान हो गया।

गंगा और कोशी की संगम स्थल पर स्थापित की गई मैया की मंदिर।

संस्था के अध्यक्ष रामप्रसाद मंडल ने बताया कि रंगरा और डुमरिया के सीमा पर स्थित भगवती मैया की यह मंदिर भक्तों की मनौती पूरा करने के लिए जानी जाती है। यह मंदिर गंगा और कोसी की संगम स्थल के समीप स्थित है। पूरब की तरफ से बाबा बटेश्वर स्थान के चरणों को पखारती हुई गंगा डुमरिया की तरफ आती है और कुरसेला की तरफ से एक मात्र मार्ग रंगरा गांव होते हुए कोसी गंगा से मिलने डुमरिया आती है। जहां पर मैया के मंदिर के आगे गंगा और कोशी दोनों बहनों का संगम होता है।

इस वर्ष पहले गंगा ने फिर कोसी ने मैया के पखारे पांव।

अंग सांस्कृतिक लोक मंच डुमरिया के निर्देशक सह संस्था के व्यवस्थापक चंद्र शेखर सुमन ने बताया कि इस वर्ष के बाढ़ ने इलाके में अपना रौद्र रूप दिखाते हुए तबाही मचा के रख दिया जिससे क्षेत्र के हजारों परिवार दो महीनो तक विस्थापित रहा, जबकि बाढ़ के कारण हीं मैया भगवती का पांव पखारने पहले गंगा आई और फिर कुछ दिनों बाद कोशी ने भी आकर मैया का पांव पखारते हुए यहां के लोगों को समृद्धि का वरदान दिया।

गंगा और कोशी को लौटने के लिए संस्था ने की थी दोनों की पहले पूजा अर्चना ।

संस्था के सचिव चंद्रहास मंडल ने बताया कि गंगा और कोशी को मनाने के लिए डुमरिया के नवनिर्मित सार्वजनिक पूजा कमेटी ने पूजा अर्चना करते हुए वापस लौटने की प्रार्थना की थी। जिसके बाद हीं गंगा और कोसी घटती चली गई। पूजा प्रारंभ होने से महज 7 दिन पहले तक पूजा प्रांगण में कमर भर पानी था। महा 7 दिनों के बाद ही पूजा प्रांगण सूख गया, जहां पर इसके बाद पंडाल निर्माण कर पूजा प्रारंभ किया गया।

छाग बलि नहीं हलुआ पुरी पर खुश होती है यहां की मैया।

पुजारी बमबम मंडल कहते हैं रक्त बलि नहीं , डुमरिया की शक्ति स्वरूपा मैया भगवती को तो हलुआ पुरी पसंद है। कहते हैं जो भक्त अपनी मनौती रख यहां की मैया को हलुआ पूरी का भोग लगाता है उनकी मनोकामना पूर्ण होते देर नहीं लगती। यहां की मैया की ख्याति किसी चमत्कार से कम नहीं है।

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