नवगछिया : स्वामी आगमानंद जी महाराज की सानिध्य में शिवशक्ति योगपीठ नवगछिया में शरदोत्सव, महर्षि वाल्मीकि व पराशर की जयंती पर एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस अवसर पर प्रो. डा. नृपेंद्र वर्मा रचित पुस्तक अथातो कबीर जिज्ञासा का लोकार्पण स्वामी आगमानंद महाराज व प्रो. डा. लक्ष्मीश्वर झा सहित दर्जन भर विद्वान मनीषियों ने किया. प्रो. डा. नृपेंद्र वर्मा ने कहा कि मैंने कागज के कुछ पन्नों पर कबीर दास और शंकराचार्य जी के बारे में कुछ लिखा था,
स्वामी आगमानंद जी महाराज एक दिन मेरे घर पर आए, उन्होंने उसे देखा और कहा- इसे प्रकाशित करें, यह बहुमूल्य धरोहर साबित होगा. उन्हीं की प्रेरणा और विशेष कृपा से आज यह पुस्तक के रूप में आपके सामने है. स्वामी आगमानंद ने कहा कि शरद पूर्णिमा की चंद्रमा 16कलाओं से युक्त होता है. इसकी आभा किसी को भी आकर्षित करती है. यह रास की पूर्णिमा है. सबसे खूबसुरत रात है. चंद्रमा की किरणों के माध्यम से अमृत की वर्षा होती है. इसलिए आज की रात खुले में लोग बैठते हैं. खुले में खीर बनाते हैं.
रात में उस खीर में चंद्रमा की किरणों के माध्यम से अमृत खीर में मिल जाता है. लोग इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं. उन्होंने अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और असुरों में संग्राम की कथा भी लोगों को सुनाई. स्वामी आगमानंद जी ने महर्षि वाल्मीकि और महर्षि पराशर की जयंती पर उन्हें नमन किया. उनकी कृति को याद किया.मुख्य वक्ता प्रो. डा. बहादुर मिश्र, पंडित ज्योतिन्द्र प्रसाद चौधरी, गीतकार राजकुमार, विधायक शंकर सिंह, संजय कुमार, मृत्युंजय कुंवर, दिलीप शास्त्री, स्वामी शिव प्रेमानंद भाई जी, स्वामी मानवानंद , पंडित प्रेम शंकर भारती, मनोरंजन प्रसाद सिंह, कुंदन बाबा आदि ने कार्यक्रम को संबोधित किया. गीतकार राजकुमार ने स्वरचित कविता का पाठ किया. कहा- परमहंस जी से लगी, होती जिनकी प्रीत. नृप हो या हो आमजन, होती उनकी जीत. उन्होंने कहा कि परासर जी ने अपनी मां के गर्भ में ही वेद-वेदात की बातें समझ ली थी.