नवगछिया के रंगरा प्रखंड के भवानीपुर में स्थित दक्षिणेश्वरी काली मंदिर का इतिहास दो सौ वर्ष से भी अधिक पुराना है। स्थानीय ग्रामीणों का मानना है कि जो भक्त यहां सच्चे मन से पूजा करते हैं, उनकी मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं।
मंदिर के व्यवस्थापक प्रशांत कुमार उर्फ पिंटू यादव ने बताया कि इस मंदिर की उत्पत्ति एक दिलचस्प घटना से हुई। सोनरा बहियार में खेलते हुए बच्चों ने मिट्टी की काली मां की प्रतिमा बनाई और खेल-खेल में कुश से बलि चढ़ा दी। उस समय अचानक प्रतिमा के सामने बलि चढ़ गई, जिससे बच्चे डरकर भाग गए।
इसके बाद, बच्चों के माता-पिता ने ईश्वर पोद्दार को स्वप्न में दिखाया गया कि उन्होंने काली मां की प्रतिमा स्थापित की है, इसलिए पूजा-पाठ भी करना चाहिए। कुछ वर्षों तक पूजा घर पर ही होती रही, बाद में ग्रामीणों ने मिलकर मंदिर का निर्माण कराया।
इस साल, 31 अक्टूबर की रात को काली मां की पिंडी स्थापित की जाएगी, और उन्हें निशा वली अर्पित की जाएगी। इसके बाद, 1 और 2 नवंबर को मेला लगेगा और जागरण कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इस अवसर पर भक्तों की भारी भीड़ जुटने की संभावना है, जो काली मां के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करेंगे।