नवगछिया : पुरातत्व विभाग पटना की दो सदस्यीय टीम ने गुवारीडीह के टीले और वहां से बरामद हुए पुरावशेषों का जायजा लिया है. टीम का यह अभियान बेहद गुप्त था और सर्च अभियान में लगे ग्रामीणों के अलावा टीम के आने की भनक किसी को कानो कान नहीं लगी.
टीम ने दो दिनों तक गुवारीडीह और पुरावशेषों का जायजा सूक्ष्मतापूर्वक लेती रही. ग्रामीण द्वारा पिछले दो वर्षों से चलाये जा रहे सर्च अभियान के प्रमुख ग्रामीण अविनाश ने बताया कि टीम का नेतृत्व विभाग के ही विद्वान डा हर्षरंजन कर रहे थे. टीम मंगलवार को शाम में जयरामपुर गांव पहुंची थी और टीम के सदस्यों ने बरामद पुरावशेषों की विधिवत फोटोग्राफी की.
बुधवार को भी टीम दोपहर बाद तक बरामद सामानों की फोटोग्राफी ही करती रही. बुधवार को दोपहर में टीम गुवारीडीह टीले पर पहुंची और वहां बिखरे पड़े पुरावशेषों का जायजा लिया और फोटोग्राफी भी की. टीले पर मिले दस फीट मोटी दीवार के ईंटों का सैंपल भी इकट्ठा किया गया और दीवार की लंबाइ चौराई की माप भी ली.
टीम के दोनों सदस्य टीले के जंगल और पौराणिक कामा माता मंदिर का अवलोकन किया. टीम के सदस्यों ने ग्रामीणों से गुवारीडीह के इतिहास, भूगोल की भी जानकारी ली. टीम के सदस्यों ने ग्रामीणों को कहा कि यहां मिले अवशेष पांच वर्ष पुराने हो सकते हैं. वे अपनी जांच रिर्पोट विभाग में प्रस्तुत करेंगे. सदस्यों ने जानकारी देते हुए बताया कि विभागीय निर्देश पर वे गुवारीडीह के टीले की जांच करने आये हैं. ग्रामीणों ने टीम के सदस्यों से कहा कि पूरा टीला कोसी कटाव के मुहाने पर है.
अगर इसे नहीं बचाया गया तो आये दिन इस टीले का अस्तित्व पूरी तरह से समाप्त हो जायेगा. मालूम हो कि बिहपुर विधायक ई कुमार शैलेंद्र द्वारा गुवारीडीह से मिल रहे पुरावशेषों की जानकारी मुख्यमंत्री को दी थी. जिसके बाद गुवारीडीह पर पुरातत्व विभाग की नजर पड़ी. टीम के साथ ग्रामीणों अविनाश कुमार, नंदकिशोर चौधरी, पैक्स अध्यक्ष विकास कुमार, अंकित कुमार चौधरी, संतोष कुमार चौधरी, विपिन कुमार सिंह, शुभम कुमार, राजीव कुमार साह, सुधाशु कुमार कुक्कू, सिंधू पंडित, अजय सिंघेल कुशवाहा आदि अन्य भी थे.