प्रदीप विद्रोही
भागलपुर : जिले के कहलगांव स्थित गंगा में मंगलवार को तैरते हुए एक विशालकाय मगरमच्छ दिखाई दिया। यह दृश्य श्मशान घाट पर मौजूद दर्जनों लोगों ने देखा, जो एक शवयात्रा में शामिल थे। मगरमच्छ को देखते ही श्मशान घाट पर अफरा-तफरी मच गई। कई लोगों ने अपने मोबाइल फोन से इस घटना का वीडियो भी बनाया।
मगरमच्छ की लंबाई लगभग आठ फीट बताई जा रही है और यह बेहद बलशाली नजर आ रहा था। वह गंगा की उल्टी दिशा में तेज गति से कहलगांव की ओर बढ़ रहा था। गंगधार को चीरते हुए मगरमच्छ कहलगांव स्थित सती धाम घाट की ओर भागता दिखा।
यह ज्ञात हो कि पिछले एक दशक से सबौर, घोघा, कहलगांव, बटेश्वर स्थान और पीरपैंती के गंगा तटीय इलाकों में मगरमच्छों का दिखना आम हो गया है। बाढ़ और बाढ़ के बाद यानी सितंबर, अक्टूबर व नवंबर माह में इन इलाकों में मगरमच्छ अक्सर देखे जाते रहे हैं। इन मगरमच्छों ने कई बार हमले भी किए हैं। इनमें तट पर घूम रही बकरियों, शौच के लिए गए युवकों और मछुआरों पर असफल हमले शामिल हैं।
हाल ही में पीरपैंती स्थित एकचारी दियारा गांव में एक मगरमच्छ को पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि अगहनु मंडल ने अपने कब्जे में लेकर वन विभाग को सौंपा था।
इसके बावजूद इसी इलाके में एक दूसरा मगरमच्छ ग्रामीणों ने अपने कब्जे में कर वन विभाग को सौंपा था। 2022 में ही कहलगांव से बाबा बटेश्वर स्थान के बीच कई मगरमच्छ गंगा स्नान व मछुआरों को दिखा था। बटेश्वरस्थान के समीप गंगलदई गांव के पास गंगा में एक मगरमच्छ महुआरे के बिसारा जाल में फंस गया था। अंततः वह जाल को फाड़ कर फरार हो गया था।
कुल मिलाकर, पिछले एक दशक से इस क्षेत्र में मगरमच्छों ने अपना ठिकाना बना लिया है। इन्हें यहां से भगाने का कोई सरकारी उपाय अब तक नजर नहीं आया है। 2022 में जब गंगा में मगरमच्छों की गतिविधियां बढ़ गई थीं, तो वन विभाग ने कहलगांव के कई स्नान घाटों पर चेतावनी देते हुए इश्तेहार लगाए थे। इन इश्तेहारों में श्रद्धालुओं को सतर्क रहने और अपनी सुरक्षा का ध्यान रखने की अपील की गई थी। मालूम हो कि कहलगांव से बटेश्वर के बीच उत्तरवाहिनी गंगा में हर दिन श्रद्धा की डुबकी लगाने वालों की भीड़ रहती है. ऐसे में मगरमच्छों का विचरण करना खतरे से खाली नहीं है। कभी भी इस जलजीव का हमला हो सकता है।