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अमित कुमार की कहानी, सरकारी शिक्षक की कम वेतन ने उसे फूड डिलीवरी बॉय बनने पर किया मजबूर

भागलपुर : मेहनत करने के बाद सरकारी नौकरी का ठप्पा तो लगा, लेकिन इस सरकारी नौकरी में मिल रहे वेतन ने उसे शर्मिंदा कर दिया। सरकारी नौकरी में ढाई साल का वक्त तो बीत चुका है, लेकिन अमित की जिंदगी दर्द में डूबती जा रही है। आलम यह है कि दिन भर वह विद्यालय में शारीरिक शिक्षक के रूप में बच्चों को पढ़ाते हैं, और फिर रात भर सड़क पर फूड डिलीवरी बॉय का काम करने पर मजबूर हैं।

जब सरकारी नौकरी लगी थी, तो परिवार के सभी सदस्य खुशी से झूम उठे थे, लेकिन आज सैलरी इतनी कम है कि परिवार चलाने में भी कष्ट हो रहा है। यह कहानी है भागलपुर जिले के सरकारी शारीरिक शिक्षक अमित कुमार की, जिन्हें केवल ₹8000 प्रति माह वेतन मिलता है। इतने कम पैसे में परिवार चलाने में खुद को बेबस महसूस कर रहे हैं।

अमित ने निजी कंपनी के साथ जुड़कर फूड डिलीवरी बॉय का काम शुरू कर दिया है और पिछले कई महीनों से इस काम के जरिए अपना परिवार चला रहे हैं। दिन के वक्त वह मध्य विद्यालय बाबूपुर में बच्चों के बीच शारीरिक शिक्षा का कार्य करते हैं, जबकि शाम के 5:00 बजे से रात तक वह घर-घर जाकर खाना पहुंचाते हैं।

अमित कुमार बताते हैं कि फरवरी के बाद चार महीनों तक उनका वेतन नहीं मिला था, जिसके बाद उन्हें दोस्तों से कर्ज लेना पड़ा। कर्ज बढ़ते जाने के बाद, उनकी पत्नी के कहने पर उन्होंने फूड डिलीवरी का काम शुरू किया। वे कहते हैं, “8000 रुपये के वेतन पर मैं अपना परिवार भी ठीक से नहीं चला पा रहा हूं, और सोचता हूं, जब खुद को खाने के लिए पूरा नहीं हो पा रहा है तो अपनी आने वाली पीढ़ी को क्या खिलाऊंगा।”

अमित की इस मेहनत और संघर्ष को देखकर समाज में उनके हौसले की सराहना हो रही है, लेकिन यह भी सवाल खड़ा करता है कि सरकारी कर्मचारी को मिलने वाले वेतन में इतनी कमी क्यों है?

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