नवगछिया अनुमंडल में सरकारी शिक्षकों का रवैया शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़ा कर रहा है। जहां बिहार सरकार शिक्षा विभाग को सुधारने की कोशिश में जुटी है, वहीं गोपालपुर, इस्माइलपुर और रंगरा प्रखंड के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की मनमानी चरम पर है।
विद्यालय में उपस्थिति, फिर अपनी दुनिया में व्यस्त
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, इन प्रखंडों के कई शिक्षक स्कूल में सिर्फ उपस्थिति दर्ज करने जाते हैं और उसके बाद कोचिंग संस्थानों का संचालन, निजी विद्यालयों में पढ़ाने या अपनी दुकानों पर बैठने का काम करते हैं। इनमें से कुछ शिक्षक किराने और रेडीमेड की दुकानें चलाते हैं तो कुछ कोचिंग क्लास के जरिए अपनी आमदनी बढ़ाते हैं।
‘सब मैनेज है’ का बहाना
शिक्षकों की लापरवाही पर जब सवाल उठाया गया, तो उनका कहना था कि “हेडमास्टर के पास कोई ताकत नहीं है और हमारी हर चीज मैनेज है।” नवगछिया क्षेत्र में शिक्षकों का यह रवैया आम हो चुका है। कई शिक्षक स्कूल के समय में सड़कों पर मोटरसाइकिल से घूमते नजर आते हैं।
सरकारी आदेशों की खुलेआम अवहेलना
सरकारी नियमों के अनुसार, सरकारी शिक्षकों को कोचिंग संस्थान चलाने पर पूर्ण प्रतिबंध है। पूर्व डीईओ के कार्यकाल में प्रत्येक शिक्षक से शपथ पत्र लिया गया था कि वे कोचिंग का संचालन नहीं करेंगे। बावजूद इसके, नवगछिया के गली-मोहल्लों में खुलेआम कोचिंग चलाए जा रहे हैं।
शिक्षा पर असर
कुछ शिक्षकों ने तो हद पार करते हुए स्कूल के समय में बच्चों को अपने कोचिंग सेंटर बुलाना शुरू कर दिया है। विद्यालय प्रशासन और शिक्षा विभाग की निष्क्रियता से इन शिक्षकों का मनोबल बढ़ा हुआ है, जिससे बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।
सरकार की कोशिशों और शिक्षा विभाग के निर्देशों के बावजूद नवगछिया में सरकारी शिक्षकों की मनमानी से शिक्षा व्यवस्था चरमरा रही है। प्रशासन को इस पर त्वरित और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि बच्चों का भविष्य सुरक्षित रह सके।