भागलपुर : झारखंड के धनबाद जिले में पदस्थापित सिपाही दीपांकर कुमार स्मैक कारोबारी निकले, जिसके कारण धनबाद में तैनात सब-इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार यादव पर भी गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में सब-इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार यादव के परिजन न्याय की गुहार लेकर डीआईजी कार्यालय पहुंचे।
घटना का विवरण
परिजनों के अनुसार, सब-इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार यादव की सेवा 31 दिसंबर 2024 को समाप्त होने वाली थी। सेवा निवृत्ति की औपचारिकता पूरी करने के लिए वह अपनी पत्नी को लेने सिपाही दीपांकर कुमार की गाड़ी में सवार होकर अपने गांव जा रहे थे। इस दौरान खीरीबांध के समीप पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग में गाड़ी से 920 ग्राम स्मैक बरामद किया गया।
परिजनों का पक्ष
परिजनों का कहना है कि स्मैक बरामदगी से उपेंद्र कुमार यादव पूरी तरह अनजान थे। उन्होंने बताया कि सिपाही दीपांकर कुमार के काले कारनामों की जानकारी उपेंद्र कुमार को नहीं थी। इसके बावजूद पुलिस ने उन्हें भी अभियुक्त बनाकर जेल भेज दिया। परिजनों ने डीआईजी से मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच की जाए और उपेंद्र कुमार यादव को न्याय दिया जाए।
परिजनों और आरोपी की पुत्री के बयान
परिजनों ने दावा किया कि उपेंद्र कुमार यादव कभी भी असामाजिक या अनैतिक गतिविधियों में शामिल नहीं रहे हैं। आरोपी की पुत्री ने भी अपील की कि उनके पिता निर्दोष हैं और इस मामले में निष्पक्ष जांच होनी चाहिए।
मामले पर प्रशासन का रुख
पुलिस ने फिलहाल इस मामले में कार्रवाई करते हुए सिपाही दीपांकर कुमार और सब-इंस्पेक्टर उपेंद्र कुमार यादव को अभियुक्त बनाया है। मामले की जांच जारी है।
यह घटना न केवल कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि निर्दोष व्यक्तियों को फंसाने के मामलों की संवेदनशीलता को भी उजागर करती है। परिजनों की मांग है कि सच्चाई सामने लाने के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की जाए।