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भागलपुर: तीन साल पहले जिन शारीरिक शिक्षकों की नियुक्ति पर मिठाई बांटी गई और लोग बधाई देने पहुंच रहे थे, आज वही शिक्षक अपने भरण-पोषण के लिए सड़कों पर भीख मांगने को मजबूर हैं। बिहार सरकार द्वारा बहाल किए गए इन शिक्षकों को मात्र ₹8000 मासिक वेतन दिया जा रहा है, जो परिवार का खर्च चलाने के लिए बेहद नाकाफी है।

सरकार ने सरकारी विद्यालयों में बच्चों को चुस्त-दुरुस्त रखने के उद्देश्य से शारीरिक शिक्षकों की बहाली की थी। लेकिन आज ये शिक्षक आर्थिक तंगी के कारण सड़कों पर उतर गए हैं। एक महिला शिक्षक ने अपने छोटे बच्चे को गोद में लेकर कहा, “इस वेतन से हम अपने बच्चों को दूध तक नहीं पिला पा रहे हैं। घर चलाना तो बहुत दूर की बात है।”

एक अन्य शिक्षक ने कहा, “हमने लिखित और शारीरिक परीक्षा पास कर यह नौकरी पाई, लेकिन आज हमारे हालात ठेला चलाने वाले या रिक्शा चलाने वालों से भी बदतर हैं। वे कम से कम अपने परिवार का भरण-पोषण तो कर पा रहे हैं।”

इन शिक्षकों का कहना है कि जब उनकी नियुक्ति हुई थी, तब पड़ोसी और रिश्तेदार बधाई देने आए थे। लेकिन आज वही लोग उनसे कतराते हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि कहीं ये कर्ज न मांग लें।

सरकार द्वारा निर्धारित ₹8000 का वेतन इन शिक्षकों के लिए अपमानजनक स्थिति पैदा कर रहा है। वे सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनकी स्थिति पर ध्यान दिया जाए और वेतन में वृद्धि की जाए, ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन जी सकें।

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