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प्रदीप विद्रोही

भागलपुर। सरकार के ऊर्जा सचिव पंकज कुमार पाल रविवार दो फरवरी को भागलपुर जिले के पीरपैंती में प्रस्तावित पावर प्लांट स्थल का निरीक्षण किया। स्थल निरीक्षण के बीच कार्य शुरू होने की समय सीमा के सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी प्रारंभिक अवस्था में है डीपीआर बनने के बाद ही इस संबंध में कुछ भी स्पष्ट तौर पर कहा जा सकता है।

किसानों के संबंध में पूछने पर ऊर्जा सचिव ने कहा एक – एक किसान के समस्या को उचित प्राधिकार द्वारा सुना, समझा और सही निर्णय लिया जाएगा।
पीरपैंती प्रखंड से सटे और पीरपैंती में पदस्थापित कहलगांव अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी टू के कार्यालय के सामने पावर प्लांट की चाहरदीवारी की मुख्य गेट से ऊर्जा सचिव ने प्रवेश किया और कुछ क्षण वहां साथ चल रहे अधिकारियों से मंथन कर पैदल हीं टुंडवा-मुंडवा मौजे के ऊबड़ – खाबड़ पहाड़ी को नाप दिया।

इसके बाद वो टड़वा गांव के निकट बजरंग बली मंदिर के पास पैदल निकले और सिंघिया नाला के तरफ पावरप्लांट की जमीन निरीक्षण करने निकल पड़े। टड़वा गांव के पास हीं पीरपैंती किसान चेतना उत्थान समिति के अध्यक्ष श्रवण कुमार सिंह ने ऊर्जा सचिव को आवेदन देकर पूर्व में किसानों को भूमि मुआवजा में हुई विसंगति को दूर करने और उचित मुआवजा भुगतान करने के संबंध में एक आवेदन दिया।

ज्ञात रहे कि शनिवार एक फरवरी को भागलपुर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रगति यात्रा के बाद ऊर्जा सचिव पंकज कुमार पाल कहलगांव एनटीपीसी मानसरोवर में रात्रि विश्राम किया था। पश्चात दो फरवरी को तड़के करीब 9.00 बजे पीरपैंती के प्रस्तावित पावर प्लांट स्थल का निरीक्षण करने निकल पड़े।
मंझले कद के ऊर्जा सचिव ने टुंडवा-मुंडवा पहाड़ पर पैदल निरीक्षण के दौरान साथ चल रहे अधिकारियों और पुलिस बल को खूब दौड़ाया और पसीना पसीना कर दिया।

कोई भी अधिकारी या पुलिस बल उनके फिटनेस के आगे टिक नहीं पा रहा था।
अंततः उन्होंने कहा कि जब तक डीपीआर नहीं बन जाता इस परियोजना के संबंध में विस्तार से बोलना जल्दबाजी होगी। जिला भूअर्जन पदाधिकारी ने बताया कि 75 किसानों का मुआवजा लंबित रह गया है। जिसका आवेदन लिया जा रहा है। 25 किसानों का 80 प्रतिशत और 50 किसानों का 20 प्रतिशत लंबित है। 38 मामले कोर्ट में लंबित है।

ज्यादातर हरिनकोल 2 और टुंडवा उर्फ मुंडवा मौजा के किसान हैं। 2011 में जमीन अधिग्रहण किया गया था। उसी दर से मुआवजा दिया जाएगा। कुछ किसानों का पेड़ का मुआवजा नहीं मिलने का मामला आया है। जिसे वनविभाग से मूल्यांकन करवा कर दिया जाएगा। पीरपैंती पावर प्लांट के लिए वर्ष 2011 में 919 पंचाटधारी किसानों का 988.335 एकड़ जमीन अधिग्रहण किया गया है।112 एकड़ बिहार सरकार की और 57.56 भारत सरकार के रेलवे की जमीन पावर प्लांट में अधिग्रहण किया गया है।

टुंडवा उर्फ मुंडवा, रायपुरा, सुंदरपुर, श्रीमतपुर, हरिणकोल भाग 1 और भाग 2 मौजा की जमीन को अधिग्रहण किया गया है। पावर प्लांट का घेराबंदी 14 किलोमीटर के वृताकार क्षेत्र में किया जाना है। जिसमें अब तक 5 किलोमीटर कार्य हुआ है। वह भी कई जगहों पर अधूरा है। विद्युत विभाग के अधिकारियों ने बताया कि नए साल से घेराबंदी का कार्य शुरू हो जाएगा। ड्रोन कैमरा से जमीन का फोटोग्राफी की जा रही है।


24 हजार करोड़ रुपए की लागत से इस परियोजना का निर्माण होना है। इसमें तीन मौजे की जमीन है, जिनमें हरिणकोल, मुंडवा और सिरमतपुर शामिल है। बाकी रैयती जमीन के लिए पांच अतिरिक्त मौजे की जमीन है। कोल इंडिया के सहयोग से 2400 मेगावाट का थर्मल पावर प्लांट बनना तय है।

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