

भागलपुर के नाथनगर रेफरल अस्पताल में हाल ही में एक ट्रेन हादसे में घायल हुए दो युवक के इलाज में गंभीर लापरवाही देखने को मिली है। घायल सुल्तानगंज निवासी श्रीकांत बिंद को अस्पताल में इलाज के दौरान जमीन पर लिटाकर इलाज किया गया। उनके सिर में गंभीर चोट आई थी और वह खून से लथपथ थे। इसके बावजूद, डॉक्टरों ने उन्हें स्ट्रेचर के बजाय जमीन पर लिटा दिया और इलाज किया। उनका स्लाइन बोतल हाथ में पकड़ा कर दिया गया, जबकि बोतल को स्टैंड पर रखा जाना चाहिए था।

इसके बाद एक और युवक, अकबरनगर निवासी राजेंद्र यादव, ट्रेन हादसे में घायल होकर अस्पताल पहुंचे, लेकिन उन्हें अंदर ले जाने के लिए स्ट्रेचर तक उपलब्ध नहीं था। अस्पताल कर्मियों और उनके परिजनों ने उन्हें हाथ से उठाकर अंदर ले जाया।
चौंकाने वाली बात यह रही कि दोनों घायलों को बेहतर इलाज के लिए मायागंज अस्पताल भेजने के लिए एंबुलेंस भी उपलब्ध नहीं थी। दोनों मरीज घंटों तक एंबुलेंस के इंतजार में रेफरल अस्पताल में पड़े रहे।

अपनी खामियों को छिपाने के लिए, अस्पताल प्रशासन ने पत्रकारों को अस्पताल के अंदर जाने और तस्वीरें लेने से रोका। जब पत्रकारों ने अस्पताल प्रभारी से संपर्क करने की कोशिश की, तो उन्होंने इमरजेंसी काम का बहाना बना कर बात करने से मना कर दिया।
इस घटना ने नाथनगर रेफरल अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, और अस्पताल की लापरवाही के कारण घायल व्यक्तियों को गंभीर समस्या का सामना करना पड़ा है।
