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सोमवार 17 की रात्रि होगा भव्य पूजा अर्चना, वर्षों से चल रही है छागर उपहार देने की परंपरा
नवगछिया नगर परिषद क्षेत्र के वार्ड 06 स्थित सिमरा गांव में इस समय माँ दक्षिणेश्वरी काली के मंदिर में बहरयात्रा पूजा का आयोजन बड़े धूमधाम से चल रहा है। 17 फरवरी 2025, सोमवार की रात को इस पूजा का अंतिम दिन होगा, जब भव्य पूजा अर्चना होगी। यह पूजा सैकड़ों वर्षों से इस गाँव में होती आ रही है, और इस दौरान एक विशेष परंपरा का पालन किया जाता है, जिसे “छागर” उपहार देने की परंपरा कहा जाता है।
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मंदिर के पंडित कौशलेंद्र नारायण झा के अनुसार, यह पूजा तंत्रोक्त विधि से की जाती है, जो एक पारंपरिक तरीका है। इस पूजा में काली माता की आराधना के साथ-साथ गाँव के लोग विशेष रूप से उन व्यक्तियों को “छागर” उपहार देते हैं जो गाँव के दामाद और भांजे होते हैं, खासकर वे जिनका गोत्र नहीं मेल खाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है और इसे श्रद्धा और समर्पण के साथ निभाया जाता है।
गांववासियों के अनुसार, यह परंपरा राजा झमन्न सिंह द्वारा शुरू की गई थी, जब उन्होंने काली माता की पूजा के लिए ब्राह्मणों को बसाया था। तब से यह पूजा और परंपरा सिमरा गांव में चली आ रही है।
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पूजा की शुरुआत गुरुवार को हुई थी और यह 17 फरवरी तक चलेगी। इस दौरान, दिन में माँ की पूजा अर्चना होती है, और महिलाएं महादेव की पूजा करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। संध्या के समय, पूरा गाँव एक साथ खड़ा होकर माँ के दरबार में आरती वंदना करता है। यह दृश्य अत्यंत भव्य और श्रद्धापूर्वक होता है।
पूजा के आयोजन में सिमरा गाँव के मंदिर कमिटी के अध्यक्ष अविनाश मिश्रा, सचिव रियुष कुमार सावर्ण, कोषाध्यक्ष नन्द नंदन झा, और अन्य कई लोग जैसे सीबीएस आत्मानंद झा, केशव, अनुज, निखिल, किट्टू, मैना, यश राज, मुक्की, कुक्की, सचिन, अंकित आदि सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं।
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पूरे गांव में भक्ति का माहौल है, और लोग एकजुट होकर इस ऐतिहासिक और धार्मिक परंपरा को जीवित रखे हुए हैं। यह आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह सिमरा गाँव के एकता और समर्पण का प्रतीक भी है।