


गंगा बेसिन, समस्याएं और समाधान पर होगी चर्चा
प्रदीप विद्रोही
भागलपुर : जिले के कहलगांव में दो दिवसीय राष्ट्रीय विमर्श गंगा बेसिन – समस्याएं और समाधान की शुरुआत गंगा मुक्ति आंदोलन के 43वी वर्षगांठ पर शुरू हो रहा है. यह आयोजन 23 फरवरी तक चलेगा. 22 फरवरी को काली घाट में 11 बजे से खुला सत्र होगा जिसमें गंगा मुक्ति आंदोलन के इतिहास, उपलब्धि, बाधाएं और वर्तमान स्थिति पर चर्चा होगी. खुले सत्र में आगंतुक अतिथियों के उदगार भी होंगे. इस बीच सम्मेलन में गंगा को गंगा रहने दो, गंगा को अविरल बहने दो विषय पर भी विचार होगा।

सुल्तानगंज से कहलगांव तक डॉल्फिन अभ्यारण के कारण मछुआरों की ऊपर हो रहे शोषण के खिलाफ भी चर्चा होगी।
गंगा मुक्ति आंदोलन, जल श्रमिक संघ, बिहार प्रदेश मत्स्य जीवी जल श्रमिक संघ के तत्वाधान में यह आयोजन है. गंगा में 350 दीप कुमारी कन्याओं के द्वारा गंगा में प्रवाहित किया जाएगा। गंगा मां की पूजा अर्चना भी की जाएगी। संकल्प सभा होगी, नौका जुलूस आदि कार्यक्रम भी होंगे.

नदियों के अस्तित्व जलवायु संकट, विकास नीति और भावी रणनीति पर चर्चा होगी. कार्यक्रम में घनश्याम लिखित पुस्तक आदि विद्रोही तिलका मांझी का लोकार्पण भी होगा. कार्यक्रम में पर्यावरणविद घनश्याम, प्रकृतिवादी और आदिवासियत के पैरोकार कुमार चंद्र मार्डी, किसान नेता एवं पत्रकार दिनेश सिंह, ह्यूमनराइट एक्टिविस्ट रूपेश, प्रवीर पिटर (मालदा, फरक्का) एवं बंगाल से नदी एक्टिविस्ट केदार मंडल (खिदिर बॉक्स), तरी कुल इस्लाम, डॉ फारूक अली, डॉ मनोज आदि कार्यक्रम में शिरकत कर रहे हैं.
