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नवगछिया। रमजान का महिना रहमतो, बरकतों व मगफेरत का है। इस पाक महिना के आते ही हर मुसलमान पुरी तरह इबादत गुजार बन जाता है। कुरान और हदिश मे इस महिने का विशेष महत्व दिया है। नमाज के बाद इस महिने सर्वाधिक महत्व रोजे रखने का है। खानका ए आलिया फरीदिया मोहब्बतिया के सज्जादानशी हजरत अली कौनैन खॉ फरीदी एवं नायव सज्जादानशी हजरत मौलाना अली शब्बर खॉ फरीदी ने बताया कि रमजान का चांद दिखाई देने के बाद जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं और जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिये जाते हैं।

रमजान के रोजे सभी वालिग महिला-पुरुषों पर फरजाद र्फज है। जान बुझकर रोजा न रखने बाला गुनहगार है। अल्लाह ने कुरान शरीफ में फरमाया, ऐ इमान बालो तुम पर रोजे उसी तरह फर्ज किये गये है जिस तरह तुम से पहले लोगो पर फर्ज किये गये थे ताकि तुम परहेजगार बन जाओ। इस महिने झूठी बातें व वाद विवाद से बचना चाहिए। रमजान तीन अशरों पर आधारित है पहला असरा रहमत, दुसरा असरा मगफेरत तीसरा अशरा जहन्नम से निजात का है

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