


भागलपुर: बिहार सरकार भले ही बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के लाख दावे करे, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे कोसों दूर है। पूर्वी बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच) की हालत कुछ ऐसी ही है, जहां मरीजों का इलाज ईंट के सहारे लटका हुआ है और डॉक्टरों की आपसी खींचतान मरीजों की जान पर भारी पड़ रही है।

ताज़ा मामला दो महिला मरीजों का है। पहली हैं पीरपैंती के बाराहाट की रहने वाली ठेकिया देवी, जिनके पैर की हड्डी टूट गई थी। जेएलएनएमसीएच के हड्डी विभाग में इलाज के लिए भर्ती की गई ठेकिया देवी के पैर में स्टील प्लेट लगाई गई और फिर उसे बैंडेज के सहारे ईंट से लटका दिया गया। अस्पताल के कर्मचारियों ने परिजनों से खुद ईंट लाने को कहा, जिसके बाद वे ईंट खोजकर लाए और मरीज के पैर से लटकाई गई।

परिजनों का आरोप है कि एक महीने से ज्यादा बीतने के बाद भी उनका इलाज अधूरा है।
वहीं, उनके बगल वाले बेड पर मथुरापुर (पीरपैंती) की प्रमिला देवी भर्ती हैं, जिनके रीढ़ की हड्डी में ऑपरेशन होना था। लेकिन हड्डी विभाग के एचओडी डॉ. कन्हैया लाल गुप्ता और एनेस्थेटिक डॉक्टर डॉ. जितेंद्र के बीच आपसी विवाद के कारण प्रमिला देवी का ऑपरेशन दो महीने से टलता आ रहा है। परिजनों के अनुसार, दो बार उन्हें ऑपरेशन थियेटर तक ले जाया गया लेकिन दोनों बार वापस लौटा दिया गया।
मरीजों के परिजन रो-रो कर अस्पताल प्रबंधन से न्याय की गुहार लगा रहे हैं।
इस संबंध में जब अस्पताल अधीक्षक डॉ. हेमशंकर शर्मा से बात की गई तो उन्होंने फोन पर ही कहा कि मरीज का ऑपरेशन रुका है, इसमें शो कॉज नोटिस जारी किया गया है। ईंट लटकाने के मामले पर उन्होंने स्वीकारा कि यह गलत है, वेट (वजन) लटकाया जाना चाहिए था, इस पर कार्रवाई की जाएगी।
