नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ल्ड यूथ स्किल्स डे के मौके पर बुधवार को डिजिटल कॉन्क्लेव को संबोधित किया। आज नेशनल स्किल डेवलपमेंट मिशन की पांचवीं एनिवर्सरी भी है। मोदी ने 15 जुलाई 2015 को इस मिशन की शुरुआत की थी।
मोदी के भाषण की 6 अहम बातें
- स्किल इज सेल्फ रिलायंस
स्किल इंसान को कहां से कहां पहुंचा सकती है। सफल व्यक्ति ये निशानी होती है कि वह अपनी स्किल बढ़ाने का कोई मौका जाने नहीं दे, बल्कि नए-नए मौके ढूंढ़ता रहे। कुछ सीखने की ललक नहीं है तो जीवन ठहर जाता है। स्किल के प्रति आकर्षण जीने की ताकत देता है, उत्साह देता है। स्किल सिर्फ रोजी-रोटी और पैसे कमाने का जरिया नहीं, बल्कि जीवन में उमंग-उत्साह के लिए भी जरूरी है। - स्किल की ताकत को महसूस किया है
मैं युवा अवस्था में ट्राइबल बेल्ट में वॉलंटियर के रूप में काम करता था। एक बार एक संस्था के साथ काम पर जाना था, लेकिन गाड़ी नहीं चल पाई। मैकेनिक को बुलाया तो उसने 2 मिनट में गाड़ी ठीक कर दी। उसने 20 रुपए मांगे। एक साथी ने कहा कि 2 मिनट के काम के 20 रुपए ले रहे हो। मैकेनिक ने कहा- 2 मिनट के 20 रुपए नहीं, बल्कि 20 साल से काम के जरिए जो स्किल जुटाई उसकी कीमत ले रहा हूं। यह है स्किल की ताकत। - स्किल से मेहनत बचाई जा सकती है
आप बुक्स में पढ़ सकते हैं, यू-ट्यूब पर देख सकते हैं कि साइकिल कैसे चलती है, पुर्जे कैसे होते हैं। ये सब नॉलेज है। लेकिन आपको नॉलेज है तो आप साइकिल चला पाएं ये जरूरी नहीं है। लेकिन स्किल है तो आप साइकिल चला सकते हैं। जैसे-जैसे आपने इस कला को सीख लिया तो फिर दिमाग खपाने की जरूरत नहीं पड़ती। आज भारत में नॉलेज और स्किल में जो अंतर है, उससे समझते हुए ही काम हो रहा है। आज से 5 साल पहले आज के ही दिन स्किल इंडिया मिशन इसी सोच के साथ शुरू किया गया था। - युवाओं को बेहतर मौके देने की कोशिश कर रहे
कोशिश यही है कि भारत के युवा को अन्य देशों की जरूरतों के बारे में भी सही और सटीक जानकारी मिल सके। किस देश में हेल्थ सर्विस में कौन से द्वार खुल रहे हैं। किस सेक्टर में कौन से मौके हैं। इसकी जानकारी युवाओं को तेजी से मिल सके। मर्चेंट नेवी का उदाहरण लें तो सेलर की सबसे ज्यादा जरूरत है। हम दुनिया को लाखों सेलर दे सकते हैं और अपनी कोस्टल इकोनॉमी को भी मजबूत कर सकते हैं। - छोटे-छोटे हुनर ही देश को मजबूत करेंगे
श्रमिकों की स्किल मैपिंग के लिए पोर्टल लॉन्च किया गया है। छोटी-छोटी स्किल ही आत्मनिर्भर भारत की बहुत बड़ी शक्ति बनेगी। - थूकने की आदत छोड़ने के लिए कहें
वैश्विक महामारी में हम बार-बार दोहराते रहे हैं कि हम स्वस्थ रहें, दो गज की दूरी का पालन करते रहें, मास्क पहनना न भूलें, थूकने की आदत सबको छोड़ने के लिए समझाते रहिए। जिस काम के लिए आज जुटे हैं उसके मंत्र को हमेशा याद रखिए कि कितने भी पढ़े-लिखें क्यों न हों, नई-नई स्किल बढ़ाते रहिए। इससे जिंदगी जीने का मजा आएगा। अपनी और देश की तरक्की कर पाएंगे।
भारत में 2.3% लोगों के पास जॉब स्किल
हर साल 15 जुलाई को वर्ल्ड यूथ स्किल्स डे मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र से रिकगनाइज्ड इस इवेंट के जरिए युवाओं को स्किल के जरिए रोजगार और आंत्रप्रेन्योरशिप पर जोर दिया जाता है। साथ ही मौजूदा और भविष्य की चुनौतियों से निपटने में स्किल की अहमियत पर फोकस किया जाता है। भारत की वर्कफोर्स में सिर्फ 2.3% लोग ऐसे हैं, जिनके पास कोई जॉब स्किल है।