नारायणपुर – युवा मठ सिंहपुर पश्चिम के बैनर तले अध्यक्ष मधुर मिलन नायक के सानिध्य में मध्य विद्यालय शाहपुर में चल रहे दो दिवसीय मंजूषा कला प्रशिक्षण शिविर गुरुवार को संपन्न हो गया आयोजित कार्यक्रम में प्रशिक्षक हेमंत कुमार ने बताया कि मंजूषा कला
पांच रंगों में किस प्रकार उकेरी जाती है साथ ही विस्तृत वर्णन करते हुए कहा कि बिहुला द्वारा पन होगा का गुपनिया ,त्रिगुनिया रंग बताया.गुपनिया का मतलब गुलाबी,पीला,नीला,नारंगी हरा रंगों का इस्तेमाल होता है. त्रिगुनिया का अर्थ होता है तमोगुण , रजोगुण और सतोगुण होता है.
कार्यक्रम के संयोजक सह युवा मठ के अध्यक्ष मधुर मिलन नायक ने कहा कि इस लोक कला को विरासत तरह समझना होगा कार्यक्रम में मंजूषा कला का प्रशिक्षण के दौरान मंजूषा कला को प्राचीन अंग लिपी बताया संबंध सिंधु सभ्यता से है.रेखा चित्र से मंजूषा पर बिहुला बिषहरी कथा लिखा गया था इसलिए इस कला को मंजूषा कला कहा जाता है इस कला में पांच रंगों का विशेष महत्व है नीला ,पीला, गुलाबी,हरा और नारंगी रंग का मुख्य रूप से प्रयोग किया जाता है इस चित्रांकन में हर चित्र एकतरफा होता हैं.
प्रशिक्षण में कुल 42 प्रशिक्षुओं ने भाग लिया जिसमें महिलाओं व लड़कियों की संख्या अधिक रहा इस प्रशिक्षण शिविर से क्षेत्र में लोगों में अपनी लोक संस्कृति के प्रति जागरूक आएगी और संस्कृति के महत्व को समझने का प्रयास करेंगे जैसे बिहुला बिषहरी की कथा हम दादी, नानी से सुनते आ रहे थे आज उसे कागज पर उकेरने का अवसर मिला कार्यक्रम का सराहना करते हुए अधिवक्ता रंजीत मंडल ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में इस तरह का कार्यक्रम होने से मंजूषा कला के प्रति रुचि बढ़ेगी. मौके पर गौतम यादव, अजय रविदास , मिथुन यादव, ऱदीप, राजन, नेहा, दिप्ती राज, रंजना झा, शांति देवी सहित कई लोग उपस्थित थे।