ऋषव मिश्रा “कृष्णा” मुख्य संपादक
नवगछिया – यह कहानी नवगछिया अनुमंडल के रंगरा प्रखंड के सीमांत गांव सधुवा दियारा की सातवीं कक्षा की छात्रा मनीषा की है. मनीषा के पिता उत्तम सिंह एक छोटे किसान हैं और पशुपालन के साथ-साथ सब्जियों की खेती करते हैं. बैगन तोड़ने के क्रम में अक्सर मनीषा के पिता के हाथों में जख्म हो जाता था, जख्म ने धीरे धीरे घाव का रूप ले लिया और उत्तम सिंह बैंगन तोड़ने में असमर्थ हो गए.
पिता के दर्द को देखते हुए 4 माह के अथक प्रयास से एक यंत्र का आविष्कार किया जो मनीषा के पिता के लिए ही नहीं बल्कि आसपास के किसानों के लिए मील का पत्थर साबित हुआ. मनीषा अपने इस यंत्र को सब्जी तोड़ने वाला मशीन कहती है लेकिन मनीषा के स्कूल टीचर ने इस मशीन को नाम दिया है वेजिटेबल पीकर.
क्या है वेजिटेबल पीकर
कुछ सब्जियों को तोड़ने में किसानों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है. उदाहरण स्वरूप बैंगन निरंतर तोड़ने के क्रम में हाथों के जख्मी हो जाने का डर रहता है. तो दूसरी तरफ शरीर में बैंगन के पत्ते या फिर तने सटने से एलर्जी या फिर खुजली की बीमारी होने की संभावना रहती है. सामान्य किसान सब्जियों को तोड़ने के लिए गलब्स या फिर अन्य परिधानों की व्यवस्था नहीं कर पाते हैं. दूसरी तरफ कुछ पौधे इतने बड़े और घने होते हैं कि हाथों से तोड़ना मुश्किल होता है और ऐसे पौधों को चौड़ाई के वक्त क्षति हो जाने की संभावना रहती है.
पौधे से जमीन पर गिर गए सड़ी गली सब्जियों को चुनने में संक्रामक रोगों का खतरा रहता है ऐसे में सब्जी तोड़ने की समस्या को बिना किसी परेशानी के दूर करने वाले यंत्र को वेजिटेबल पीकर का नाम दिया गया है. मनीषा ने प्लास्टिक के डंडे में स्प्रिंग, कैंची और लोहे को अलग अलग आकार में कटवाकर इस यंत्र में सेट किया है. डंडे में हाथ के पास दो बटन है. एक बटन दबाते हीं यह यंत्र को पौधे में लगी सब्जी को काटकर पकड़ लेता है और फिर दूसरा बटन दबाते ही यह यंत्र सब्जी को छोड़ देता है. इस यंत्र से कई तरह की सब्जियों और फलों की तोड़ाई की जा सकती है.
मनीषा से यंत्र बनवा रहे हैं आसपास के किसान
मनीषा ने कहा कि एक यंत्र बनाने में ढाई सौ ₹300 का खर्च आता है. उनके गांव के किसान जो भी उसके पास आते हैं तो वह उसे लागत खर्च में ही मशीन बना कर दे देती है. मनीषा ने कहा कि खाकर बैंगन की खेती करने वाले 15 किसानों ने उसे से यह यंत्र बनवाया है. बनाने में 4 से 5 दिन का वक्त लग ही जाता है.
जब बेटी ने यंत्र दिया तो आंखो में आ गए आंसू
मनीषा के पिता उत्तम सिंह ने कहा कि वह लगातार चार माह से यंत्र बनाने का प्रयास कर रही थी. अपने भाई से सामान भी मंगवा रही थी. वे जब भी मनीषा को इस तरह का काम करते देखते हैं तो उन्हें गुस्सा आ जाता था. लेकिन एक दिन जब बैंगन के खेत में मनीषा ने अपने यंत्र से बैंगन तोड़ना शुरू किया और उसने कहा पापा यह आपके लिए तो यह सुनकर आंखों में आंसू आ गए. मनीष आपने छह भाई-बहनों में तीसरे नंबर पर है. मनीषा की मां सोनम देवी गृहणी है तो उत्तम सिंह भैंस का पालन करते हैं और मुख्य रूप से बैंगन की खेती करते हैं और खुद कुर्सेला सब्जी हाट में बैंगन बीच भी आते हैं.
इंस्पायर अवार्ड में जिला स्तर पर हो चुकी है चयनित
मनीषा का चयन इंस्पायर अवार्ड के पहले चरण में हो चुका है. वह अपने अविष्कार के बल पर जिला लेवल तक पहुंच गई है. सधुवा दियारा स्थित मध्य विद्यालय चापर दियारा के शिक्षक और मनीषा के वर्क शिक्षक राकेश रोशन ने कहा कि शुरू में जब मनीषा ने उक्त यंत्र को इंस्पायर अवार्ड में शामिल करने की बात कही थी तो वह समझ नहीं पाए थे लेकिन जब उन्होंने यंत्र देखा तो वाकई यह एक नया अविष्कार था. रंगरा चौक प्रखंड के वरीय साधनसेवी मुकेश मंडल ने कहा कि मनीषा से काफी आशाएं हैं. वाह कुशाग्र बुद्धि की सृजनशील छात्रा है. शिक्षा विभाग के स्तर से मनीषा को प्रोत्साहित किया जा रहा है. उम्मीद है कि वह आगे भी कुछ अच्छा करेगी.
प्रमुख करेंगे सम्मानित
रंगरा चौक प्रखंड के प्रखंड प्रमुख संजीव कुमार यादव प्रमोद यादव ने कहा कि मनीषा ने उक्त यंत्र का आविष्कार कर प्रखंड का नाम रौशन किया है. जल्द ही मनीषा को सम्मानित किया जाएगा.