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जदयू के राष्ट्रीय महासचिव संगठन आरसीपी सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के लोगों को काम मांगने वाले की बजाय नौकरी देने वाला बनाना चाहते हैं। इसी वजह से राज्य में ज्यादा से ज्यादा स्वरोजगार को बढ़ावा दिया जा रहा है। वह शुक्रवार को जदयू बुनकर प्रकोष्ठ, जलश्रमिक प्रकोष्ठ, सहकारिता प्रकोष्ठ, दलित प्रकोष्ठ व आदिवासी प्रकोष्ठ के वर्चुअल सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने संसद और सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था की।

नीतीश कुमार ने उसे पंचायतों तक पहुंचाया। अब सभी प्रकोष्ठ अध्यक्षों की जिम्मेदारी है कि वे सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों में 35 से 50 समर्पित कार्यकर्ताओं का चयन करें, जो मुख्यमंत्री के कार्यों को नीचे तक पहुंचाएं। कहा- बुनकर क्षेत्र में रोजगार की असीम संभावनाएं हैं। और बड़ी बात यह कि यह रोजगार संबंधित व्यक्ति के दरवाजे पर ही संभव है। आज बिहार की उद्यमी योजना जैसी योजना देश में कहीं नहीं है।

इस दौरान बुनकर प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राजेश पाल, जलश्रमिक प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष सुनील भारती, सहकारिता प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष पप्पू सिंह निषाद, दलित प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. रामप्रवेश पासवान, आदिवासी प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष जगजीवन नायक और जदयू मीडिया सेल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अमरदीप मौजूद थे।


पति-पत्नी के राज में हुए 118 नरसंहार
आरसीपी ने दलित प्रकोष्ठ के कार्यकर्ताओं से कहा कि पति-पत्नी के राज में 118 नरसंहार हुए। उस समय समाज में तनाव था, गैरबराबरी थी। नीतीश ने पंचायती राज में आरक्षण देकर इस तनाव को दूर किया। नीतीश ने बिहार में शिक्षा को समाज के अंतिम दरवाजे तक पहुंचा दिया। मुख्यमंत्री ने आदिवासी समाज के हितों की लगातार चिन्ता की है। सदियों से हाशिए पर खड़े इस समाज को मुख्यधारा में लाकर इसके सर्वांगीण विकास की हरसंभव कोशिश की गई है।

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