भागलपुर : कोसी, सीमांचल और पूर्व बिहार में कोरोना का कहर जारी है। हर दिन वहां सैकड़ों नए मरीजों की पहचान की जा रही है। लेकिन, सरकारी व्यवस्था की स्थिति को देख कर लोग कोविड अस्पताल या आइसोलेशन सेंटर में रहने के बजाय होम क्वारंटाइन होना ज्यादा पसंद करते हैं।
जेएलएनएमसीएच में डॉक्टर नहीं देखते मरीजों को
पूर्व बिहार के सबसे बड़े अस्पताल जेएलएनएमसीएच की भी स्थिति दयनीय है। वहां छह सौ बेड की व्यवस्था है। उसमें 79 मरीज भर्ती हैं, जबकि टीचरर्स ट्रेनिंग कॉलेज स्थित कोविड सेंटर में 130 मरीजों का इलाज चल रहा है। जेएनएमसीएच में भोजन, सफाई आदि की सुव्यवस्था न होने की शिकायत कई मरीजों की है। यह आम शिकायत है कि डॉक्टर वहां मरीाजों को देखने नहीं जाते हैं। सीमांचल के कटिहार के मरीजों को इलाज के लिए जेएलएनएमसीएच भेजा जाता है। हालांकि, यहां बेड की कमी नहीं है। आठ आइसोलेशन कोच में 160 बेड तथा प्रशासन द्वारा अतिरिक्त 300 बेड की व्यवस्था की गई है। इसके अतिरिक्त 500 अलग बेड की व्यवस्था की गई है, लेकिन वर्तमान में उनमें 125 मरीज भर्ती हैं। कई लोगों को तो डॉक्टर द्वारा होम आइसोलेशन में रहने का सुझाव दिया जाता है। बच्चों के इलाज की कोई अलग व्यवस्था नहीं है।
पूर्णिया में एक्टिव 350, 105 बेड खाली
किशनगंज में भी एमजीएम मेडिकल अस्पताल में सौ बेड की व्यवस्था है। वहां 40 संक्रमित मरीज हैं। जिले में 77 एक्टिव केस पाए गए हैं। उनमें से चार को पटना रेफर किया गया है। अररिया में दो कोविड अस्पताल बनाए गए हैं। वहां 150 बेड हैं। उसमें 45 रोगी भर्ती हैं। 105 बेड खाली हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अधिकतर मरीज ठीक होकर चले गए हैं। लेकिन, दो दिनों से फिर मरीजों की संख्या बढऩे लगी है। पूर्णिया में कोई कोविड अस्पताल नहीं है। वहां एक हजार बेड उपलब्ध हैं। लेकिन, एक्टिव केस 350 है।
सहरसा और सुपौल में कोई मेडिकल सुविधा नहीं
सहरसा भले ही प्रमंडल मुख्यालय है, लेकिन मेडिकल सुविधा के नाम पर यहां कोई व्यवस्था नहीं है। सदर अस्पताल में केवल 15 बेड की व्यवस्था है। इसके अलावा वहां कर्पूरी ठाकुर पारा मेडिकल अस्पताल में 90 बेडों का आइसोलेशन वार्ड बनाया गया है। फिलहाल वहां 55 बेड खाली हैं। सिविल सर्जन डॉ. अवधेश कुमार वहां प्रतिदिन 180 लोगों की जांच का दावा करते हैं। सुपौल की भी स्थिति दयनीय है। वहां 87 बेड हैं। उनमें से 67 खाली है। मधेपुरा के जननायक कर्पूरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज की व्यवस्था की गई है। वहां 252 बेड हैं, लेकिन 67 मरीज ही भर्ती हैं।
मुंगेर, जमुई, लखीसराय और बांका में है अव्यस्था का आलम
मुंगेर में इसके मरीजों के लिए 421 बेड बनाए गए हैं। उसमें 322 मरीज भर्ती हैं। पूरब सराय स्थित आइसोलेशन सह ट्रिटमेंट सेंटर में भर्ती मरीजों को गरम पानी पीने की सलाह दी जाती है। लेकिन, सेंटर पर इसकी व्यवस्था नहीं है। डॉक्टर गेट पर से ही मरीजों की समस्या पूछ कर लौट जाते हैं। बांका में भी भोजन में गड़बड़ी से संबंधित शिक्षक नौशाद का वीडियो वायरल हुआ था। उसके बाद से वहां स्थिति कुछ सुधरी है। लखीसराय में भी कमोबेश यही स्थिति है। वहां के अधिकांश मरीज इलाज के लिए पटना रेफर किए जाते हैं।
अस्पताल में मरीजों को देखने डॉक्टर जाते हैं। वहां पर्याप्त सफाई रखी जाती है। वहां किसी तरह की लापरवाही का आरोप बेबुनियाद है। – डॉ. गौरव कुमार, प्रभारी अस्पताल अधीक्ष, जेएलएनएमसीएच
कई मरीज उपचार के बाद ठीक भी हुए हैं। स्वस्थ होकर उनके घर लौटने के कारण बेड खाली हैं। मरीजों की हर सुविधा का ध्यान रखा जाता है। – डॉ. के पुरुषोत्तम कुमार, सिविल सर्जन, मुंगेर।
मुख्य बातें
-जांच के लिए लगाने पड़ते हैं अस्पताल के चक्कर, कई जगहों पर जांच बंद
-पूर्व बिहार के सबसे बड़े मेडिकल कॉलेज जेएलएनएमसीएच में जांच किट की है कमी
-कोरोना पीडि़त नवजात व बच्चों के लिए प्रशासन की ओर से नहीं की गई है अलग व्यवस्था
जिला बेड खाली वजह
1.सहरसा 90 55 स्वस्थ हुए मरीज।
2.सुपौल 87 70 स्वस्थ हुए मरीज।
3.मधेपुर 252 185 स्वस्थ हुए मरीज।
4.पूर्णिया 1000 650 एक्टिव मरीजों की संख्या कम।
5.कटिहार 300 175 होम आइसोलेशन में कई मरीज।
6.अररिया 150 105 स्वस्थ होकर घर लौटे मरीज।
7.किशनगंज 100 60 एक्टिव मरीजों की संख्या कम।
8.खगडिय़ा 606 358 होम आइसोलेशन में कई मरीज।
9.मुंगेर 800 379 स्वस्थ हुए मरीज।
- लखीसराय 306 88 स्वस्थ हुए मरीज।
- बांका 140 140 सारे लोग होम क्वारंटाइन।
- भागलपुर 730 521 स्वस्थ हुए मरीज।
- जमुई 950 767 स्वस्थ हो गए मरीज।
इन तीन जगहों पर इलाज की व्यवस्था
1.जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जेएलएनएमसीएच)।
2.जननायाक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज अस्पताल मधेपुरा।
3.एमजीएम कोविड अस्पताल किशनगंज।