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बिहपुर- प्रखंड के मिल्की गांव स्थित दाता मांगन शाह रहम तुल्ला अलेह की शान निराली है. इनके रहमत का करिश्मा अब जारी है.उनके मजार पर एक छुट्टी मिट्टी से लोगों की मुरादे पुरी होती है. इलाके में इन्हें पीर बाबा कह कर उनके प्रति आस्था बताते हैं. उनकी इबादत खरते हैं. यहां सालाना उर्स पर हिन्दू कायस्थ परिवार से पहली चादरपोशी की जाती है. यहां के बड़े बुजुर्गों का कहना है कि जब स्व लालबहादुर मजूमदार को हत्या के मामले में कोलकाता हाईकोर्ट से दे गई फांसी की सजा से अपनी रुहानी ताकतों से बचा लिया था. उनके निधन पर कानूनगो ने उन्हें मिट्टी दी थी और उनके सालाना उर्स पर पहली चादर पोशी हिन्दू कायस्थ परिवार के लोगों द्वारा किया जाता है.

यह सब उनकी इच्छा से हुआ था. इसके बाद से यह परंपरा शुरु से चली आ रही है जो अब तक जारी है. गोर हो कि पिछले वर्ष कोरोना महामारी के चलते मेला नहीं लग पाया था. इस दरगाह पर हर साल अंतरराष्ट्रीय ख्याति मेला लगता आ रहा है. मशहूर सूफी संत पीर हजरात दाता मांगनशाह रहम तुल्ला अलेह का सालाना उर्स 30 मार्च से शुरू होगा. इसकी तैयारी पुरी कर ली गई है. मेला भी सजाया गया है.

उर्स इंतेजामिया केमिटी के सदर मो अजमत अली, नायब सदर मो इरफान आलम, अबुल हसन, संयुक्त सचिव असद राही एवं कोषाध्यक्ष शाह वकील ने बताया कि उर्स की पहली चादरपोशी बिहपुर कायस्थ टोला के उज्जवल कुमार दास सपरिवार 30 मार्च को रात के 12 बजकर 5 मिनट पर करेंगे. इसके बाद दूसरी चादरपोशी बिहपुर अंचलाधिकारी बिहार सरकार की ओर से की जाऐगी.

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