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अस्पताल को ही उपचार की जरूरत है। जी हां, बिहार के बक्सर जिले के सदर अस्पताल में व्यवस्था ऐसी है कि मरीज को अपनी जान की रक्षा के लिए ऑक्सीजन का सिलेंडर अपनी पीठ पर लेकर चलना पड़ता है। यह वाकया है बक्सर के सदर अस्पताल का, जहां गुरुवार (23 जुलाई) को एक दंपत्ति अपने नवजात की प्राण रक्षा के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर लगाए और नवजात बच्चे को ट्रे में लिए हुए डॉक्टर से दिखाने के लिए घूम रहा था। डॉक्टर ने बेड तक जाकर उन्हें देखना मुनासिब नहीं समझा और वह घंटों चक्कर काटता रहा। आखिरकार समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण इस नवजात की मौत हो गई। 

बताया जाता है कि राजपुर थाना क्षेत्र के सखुआना गांव के सुमन कुमार की पत्नी का प्रसव होना था। परिजन प्रसूता को लेकर चौसा अस्पताल पहुंचे थे। जहां से चिकित्सकों ने गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल रेफर कर दिया था। हालांकि परिजन प्रसूता को लेकर चौसा स्थित किसी निजी क्लिनिक में पहुंच गए। जहां पर प्रसुता का ऑपरेशन कर प्रसव कराया गया। प्रसव के बाद नवजात की गंभीर स्थिति को देखते हुए सदर अस्पताल रेफर कर दिया। 

परिजनों ने बताया कि उक्त निजी अस्पताल के द्वारा ऑक्सीजन सिलेण्डर लगा कर रेफर कर दिया गया था। जहां पर इलाज के दौरान नवजात की मौत हो गई थी। सवाल है कि ऐसे लापरवाह निजी क्लिनिक संचालन करने वालों के खिलाफ प्रशासन कब कार्रवाई करेगा। बता दें कि इससे पूर्व भी कई ऐसे ही निजी क्लिनिकों में प्रसव के दौरान मरीजों को अपने जान से हाथ भी धोना पड़ा था। घटना होने के बाद कई निजी क्लिनिक संचालक बोर्ड पर नाम बदल कर दूसरी जगह पर अपना धंधा चलाते है। नवजात की मौत के बाद सिविल सर्जन डॉ. जितेन्द्र कुमार ने बताया कि दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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