मुंगे: मुंह खोलिए.. लंबी सांस लीजिए-छोड़िए.. ऊपर देखिए.. नीचे देखिए..! मरीज के इलाज ये सब प्रचलित तरीके अब पुरानी बात होने लगी है। कोरोना काल में चिकित्सकों ने इलाज का तरीका बदल लिया है। डाक्टरों ने मरीजों का नब्ज टटोलना भी बंद कर दिया है। मरीज और डॉक्टर के बीच पॉलिथीन शीट की दीवार आ गई है। इसके पीछे से ही डॉक्टर मरीजों की परेशानी सुन और समझकर चिकित्सकीय परामर्श दे रहे हैं।
कोरोना को लेकर हर कोई डरा सहमा है। इसकी वजह कोरोना का संक्रमण है। जो एक आदमी से दूसरे आदमी में तेजी से फैल रहा है। गुरुवार को सदर अस्पताल में मरीजों की लंबी कतार देखी गई। वहीं, चिकित्सक दूर से ही उनकी समस्या सुन कर उनके पर्ची पर दवा लिख रहे थे। हालांकि, कोरोना संक्रमण को लेकर 16 जुलाई से ही ओपीडी सेवा को बंद कर दिया गया है, फिर भी मरीजों की अच्छी खासी भीड़ हर दिन सदर अस्पताल इलाज के लिए पहुंच रही है।
लॉकडाउन में सरकारी अस्पतालों की ओपीडी बंद रही। सिर्फ इमरजेंसी सेवा चलती रही। अब कुछ प्राइवेट नर्सिग होम की ओपीडी खुल गई हैं। डॉक्टर मरीजों को देखते हैं। लेकिन, अपने पारंपरिक इलाज के तरीके में बदलाव के साथ। यह कहें कि कोरोना से खुद को और मरीजों को सुरक्षित रखते हुए इलाज कर रहे हैं। डॉक्टर शारीरिक दूरी के साथ उनसे पूछकर और उनके मर्ज को समझकर उन्हें चिकित्सकीय परामर्श दे रहे हैं। डाक्टरों का कहना है कि यह मरीज और डाक्टर दोनों के लिए समय की जरूरत है। इससे दोनों सुरक्षित हैं।