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मधेपुरा: ‘जिनकी अंगुली पकड़कर चलना सीखा, जिन्होंने मेरी सुख-सुविधा के लिए अपने सभी सुखों का बलिदान कर दिया, उस पिता को संकट में कोई कैसे छोड़ सकता है।’ कटिहार जिले के मनिहारी निवासी एक व्यक्ति ने आइसोलशन वार्ड में एक सप्ताह रहकर अपने निश्शक्त पिता की सेवा की। उनके स्वस्थ होने के बाद पिता-पुत्र एक साथ आइसोलेशन वार्ड से बाहर आए। 

पिता-पुत्र कटिहार जिले के मनिहारी प्रखंड की बौलिया पंचायत के निवासी हैं। पिता विजय साह कोरोना संक्रमण का शिकार हो गए। उन्हें जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज, मधेपुरा के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती कराया गया। विजय को पूर्व से और कई बीमारियां थीं। चलने-फिरने, उठने-बैठने में भी उन्हें परेशानी होती थी। इस कारण आइसोलेशन वार्ड में भर्ती होने के बाद दो दिन तक वह कुछ खा-पी नहीं पाए। एक परिचित से पुत्र कुणाल किशोर को यह जानकारी मिली। इसके बाद उन्होंने मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन से अनुमति लेकर पिता की सेवा के लिए आइसोलेशन वार्ड में ही रहने का निर्णय लिया। ऑक्सीमीटर और बीपी नापने आदि की मशीन लेकर गए। उन्होंने पिता की सेवा कर उन्हें स्वस्थ किया। उन्हें रोज कुणाल नहलाते, पकड़कर बाथरूम के दरवाजे तक छोड़ते, खाना-दवा आदि खिलाते।

नहीं चल रही ट्रेन, बाइक से आने का किया फैसला

कुणाल कोलकाता में फिल्मों आदि के लिए स्क्रिप्ट आदि लिखते हैं। इनकी मां का निधन 2009 में ही हो गया था। इसके बाद से घर में पिता-पुत्र ही बच गए। कुणाल ने बताया कि पिता की परेशानी जानकर वह 12 जुलाई को बाइक से ही कोलकाता से कटिहार चले आए। कुणाल ने बताया कि ट्रेन नहीं चलने के कारण उन्होंने बाइक से आने का फैसला किया। जल्द से जल्द उन्हें पिता के पास पहुंचना था। 14 जुलाई को पिता की कोरोना जांच का सैंपल दिया गया। परेशानी बढऩे पर पटना में भी पिता को ले जाकर दिखाया। 19 जुलाई को पिता की कोरोना जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई और 20 जुलाई को उन्हें मधेपुरा भेज दिया गया। कुणाल ने बताया कि आइसोलशन केंद्र से बाहर आने के बाद वह अपनी भी कोरोना जांच करा लेंगे। 

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