पटना: कोरोना संक्रमण संकट के कारण होने वाले नुकसान की भरपाई को लेकर रेलवे को अपनी लंबित परियोजनाओं को पूरा करने के लिए पूंजी की आवश्यकता होगी। रेलवे की ओर से अभी पर्याप्त पूंजी निवेश की संभावना कम है। ऐसे में यात्री सुविधाओं को बढ़ाने एवं ट्रेनों में आरामदायक सफर के लिए देश के प्रमुख स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपने की योजना है। देश के 25 प्रमुख स्टेशनों को निजी हाथों में सौंपा जा सकता है। इनमें पटना जंक्शन भी शामिल है।
पहले चरण में देश के दो बड़े स्टेशनों हबीबगंज व गांधीनगर को विकसित करने के लिए निजी हाथों में सौंपा गया है। पटना जंक्शन में कुछ बड़ी कंपनियां दिलचस्पी ले रही हैं। हालांकि, अभी तक इस संबंध में स्पष्ट निर्णय नहीं लिया गया है। इसके लिए रेलवे विकास निगम को जिम्मेदारी सौंपी गई है। एक-दो बड़ी कंपनियां पटना जंक्शन में दिलचस्पी दिखा रही हैं।
पूर्व-मध्य रेल के जीएम ललित चंद्र त्रिवेदी ने बताया कि देश के कुछ स्टेशनों के विकास के लिए इन्हें निजी हाथों में देने की तैयारी है। यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर कुछ ट्रेनों को भी निजी हाथों में देने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि पटना जंक्शन के लिए दो-तीन बड़े व्यवसायी दिलचस्पी ले रहे हैं। हालांकि, अभी तक इस संबंध में कोई निविदा जारी नहीं की गई है। जीएम ने कहा कि पूर्व-मध्य रेल के दूसरे स्टेशन के लिए भी पार्टियां उत्सुक रहेंगी तो उनका भी टेंडर निकाला जा सकता है।
क्या करेंगी और क्या नहीं करेंगी निजी कंपनियां
निजी कंपनियों को ट्रेन परिचालन अथवा ट्रेन टिकट बुकिंग की जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। उन्हें केवल स्टेशन के रखरखाव व ट्रेनों की धुलाई व रखरखाव की जवाबदेही दी जाएगी। स्टेशन के अंदर जाने वाले यात्रियों को प्लेटफॉर्म टिकट बेचने की जिम्मेदारी निजी कंपनियों को मिल सकती है। स्टेशन परिसर की पार्किंग, सफाई, ट्रेनों में पानी भरने, स्टेशन को रोशन करने, प्लेटफॉर्म व स्टेशन परिसर में विज्ञापन लगाने, प्लेटफॉर्म पर फूड स्टॉल लगाने आदि की जवाबदेही निजी कंपनियों पर होगी। बदले में उन्हें एयरपोर्ट की तर्ज पर स्टेशन पर यात्री सुविधाएं उपलब्ध करानी होंगी। हालांकि, विशेष नियम व शर्त उस वक्त तय किए जाएंगे, जब स्टेशन के निजीकरण का टेंडर निकाला जाएगा।