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पिछले 15 दिनों से लगातार हो रहे गंगा के जलस्तर में वृद्धि होने से प्रखंड क्षेत्र की अधिकांश सड़कें ध्वस्त हो चुकी है। आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है। बीते सोमवार से ही कटरिया तिनटंगा पीडब्ल्यूडी सड़क मार्ग पर आधे दर्जन से भी ज्यादा जगहों से बाढ़ के पानी के तीव्र वहाव के फलस्वरूप ध्वस्त होने के कगार पर पहुँच चुका है । जिससे इन सड़कों पर कटाव का खतरा मंडराने लगा है।

इस भयावह स्थिति को देखते हुए पथ निर्माण विभाग के द्वारा बोरी में मिट्टी डालकर सड़क के किनारे डाला गया है।सड़क को बचाने में पथ निर्माण विभाग के पसीने छूट रहे हैं। हलांकी विभाग लगातार इन सड़कों पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए हैं।वहीं सड़क को बचाने के लिए बड़ी संख्या में ग्रामीण रतजगा कर जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं।

परंतु पानी का दबाव लगातार बढ़ता ही जा रहा है।अंदेशा लगाया जा रहा है कि इन सड़क के कट जाने से रंगरा और गोपालपुर प्रखंड के 30 हजार की आबादी का आवागमन पूरी तरह बंद हो जाएगा। यह सड़क मार्ग इन क्षेत्रों की लाइफ लाइन मानी जाती है। अभी से हीं इन सड़कों से होकर लोडेड गाड़ीयों का आवाजाही बंद कर दी गयी है। जिससे लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है गाड़ियों दोनों किनारे पर रुकने लगी है।

जबकि रोजमर्रा की जरूरत की समान होलसेलर और खुदरा दुकानदारों को अपने दुकानों तक ले जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ रहा है। रंगड़ा प्रखंड क्षेत्र के चर्चित सब्जी हाट जो रंगरा काली मंदिर के प्रांगण में लगता है उनके चारों ओर पानी आ जाने से सब्जी हाट भी बंद होने के कगार पर आ चुका है। 

 इससे इतर गोपालपुर प्रखंड के डुमरिया चपरघट पंचायत के डुमरिया गांव पूरी तरह जलमग्न हो चुका है। जिससे बाढ़ पीड़ित परिवारों को रहने के लिए सुखा स्थान भी नहीं मिल पा रहा है। लोग किसी तरह डुमरिया तिनटंगा सड़क मार्ग पर अपना बसेरा बना रहे हैं। बताते चलें कि इस गांव की आबादी लगभग 3000 की है। परंतु यहाँ सुविधा के नाम पर प्रशासन के द्वारा महज एक जगह सामुदायिक किचन चलाया जा रहा है। पूरे गांव की सड़कों पर बाढ़ का पानी 3 फीट बह रहा है। जिससे लोगों को भोजन प्राप्त करने के लिए केंद्र तक पहुंचने में काफ़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा हैं।

इसके अलावे इस बाढ़ में लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी शौचालय की हैं। लोग प्रशासन से शौचालय और शुद्ध पानी की लगातार मांग कर रहें हैं। परन्तु प्रशासन सिर्फ कुछ जगहों पर सामुदायिक किचेन चलाकर अपने उत्तरदायित्व का इतिश्री समझ रहे हैं। जबकि क्षेत्र में इस जलप्रलय से त्राहिमाम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। लिहाजा बाढ़ पीड़ितों के सामने समस्याओं का अंबार लगता जा रहा है।

प्रशासन और जनप्रतिनिधि जनता के गुहार पर सिर्फ वरीय पदाधिकारी के निर्देश का हवाला देकर अपना पल्ला झार रहें हैं। वहीं दूसरी डुमरिया तिनटंगा सड़क मार्ग ध्वस्त होने के बाद  तीनटंगा दियारा के लोगों के सामने आवागमन एक सबसे बड़ी समस्या बनकर खड़ी हो गई है। तिनटंगा दियारा के लोग अब प्रशासन से आवागमन के लिए नाव की मांग कर रहे हैं। बहरहाल पंद्रह दिनों से  बाढ़ की त्रासदी झेल रहे  इस भीषण  में बाढ़ पीड़ित परिवार प्रशासन की तरफ टकटकी लगाए हुए देख रहे हैं।

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