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नवगछिया के गोपालपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित सैदपुर गाँव की माता की छटा काफी निराली है। मैया के दरबार में दूर से दूर से श्रद्धालु दर्शन को आते हैं। मिली जानकारी के अनुसार सैदपुर में दर्गा मंदिर की स्थापना वर्ष 1952ई में गोपालपुर थाना के ततकालीन थानाध्यक्ष ब्रजभूषण पांडे की पहल पर सैदपुर के प्रबुद्ध ग्रामीणों द्वारा किया फूस की झोपड़ी बना कर किया गया था। कहा जाता है कि ततकालीन थानाध्यक्ष को माता ने स्वप्न में यहाँ मंदिर स्थापित कर मूर्त्ति बनाकर पूजा अर्चना करने को कहा। बाद में सैदपुर के ठीठर गोसाईं ने अपनी जमीन माता के मंदिर निर्माण हेतु दान में दी।

उसके बाद पक्का भवन बना कर माता की प्रतिमा स्थापित कर हर वर्ष पूजा अर्चना व भव्य मेला का आयोजन व नाटक का मंचन ग्रामीण कलाकारों द्वारा किया जाने लगा। परन्तु ग्रामीणों द्वारा महेशानंद कुँवर के नेतृत्त्व में पाँच मार्च 2012 ई को लगभग पाँच करोड रुपए की लागत से मंदिर के भव्य निर्माण हेतु शिलान्यास स्वामी आगमानंद जी महाराज के द्वारा करवा कर भव्य मंदिर के निर्माण करवाया गया। मंदिर 105 फीट ऊँचा है। जिस कारण मंदिर की भव्यता का दीदार दूर -दूर से ही होता है। सैदपुर दुर्गा मंदिर की भव्यता अलौकिक है।

गर्भगृह की साज -सज्जा राजस्थान के कलाकारों द्वारा किया गया है तथा मंदिर के निर्माण बंगाल के मशहूर मुर्त्तिकार करूडजी के परिवार के द्वारा पिछले दो दशक से भी अधिक समय से किया जा रहा है। यहाँ माता की पूजा वैष्णव पद्धति द्वारा विद्वान पंडित जीतन झा के आचार्यत्त्व में दर्जनों पंडितों द्वारा कलश स्थापन के बाद से किया जा रहा है। सप्तमी तिथि को कोहडा की बलि दी जाती है। मान्यता है कि माता के दरबार में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से झोली फैलाता है।

माता उनकी झोली भर देती हैं। मनोकामना पूर्ण होने पर सुहागिन महिलाओं द्वारा यहाँ खोइछा व डालिया चढाया जाता है। पं शंभूनाथ शास्त्री वेदान्ती द्वारा पहली पूजा से भक्तों के बीच श्री भागवत कथा का वाचन किया जा रहा है तथा रात्रि में जागरण आयोजित किया जा रहा है। महिलाओं व युवतियों द्वारा संध्या समय बडी संख्या में माता के दरबार में दीप जलाया जाता है। माता का दर्शन करने काफी दूर दूर से श्रद्धालु आते हैं।

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