भागलपुर: विक्रमशिला सेतु के समानांतर नए फोरलेन को स्वीकृति मिलने से शहर की जलापूर्ति योजना में पेंच फंस गया है। दरअसल, बरारी पुल घाट के पास इंटेकवेल बनना था, लेकिन अब यहां से नया पुुल बनने की हरी झंडी मिल गई है। जबकि पथ निर्माण विभाग ने बुडको को इंटेकवेल निर्माण के लिए तीन वर्ष पहले जमीन का अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) दे दिया है। ऐसे में 277 करोड़ की लागत से जलापूर्ति योजना के दूसरे चरण का कार्य जमीन के अभाव में उलझ कर रह गया है। ऐसी परिस्थिति में अगर जमीन नहीं मिली तो जलापूर्ति योजना पर ग्रहण लग सकता है।
वहीं सबौर के बाबूपुर मोड़ के समीप गंगा घाट पर इंटेकवेल निर्माण की योजना बनाई थी। लेकिन, यहां निजी जमीन होने से निर्माण कार्य नहीं कराया जा सकता है। समस्या निदान के लिए पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता से बुडको के कार्यपालक अभियंता राजेश कुमार ने संपर्क किया। उन्होंने कहा कि बुडको को इंटेकवेल निर्माण के लिए पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव द्वारा 70 गुणा 40 मीटर जमीन उपलब्ध कराई गई थी। इसके आधार पर एशियन डवलपमेंट बैंक के पर्यावरण विशेषज्ञ ने डीपीआर की स्वीकृति दी थी। समस्या निदान के लिए इंटेकवेल की जमीन को चिह्नित करने का प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन, विभाग से कोई जवाब नहीं आया।
कार्यपालक अभियंता ने बताया कि दूसरे चरण की जलापूर्ति से हनुमान घाट में नए वाटर वक्र्स व बरारी पुल घाट पर इंटेकवेल का निर्माण किया जाना है। इसके लिए कंपनी ने सर्वे का कार्य पूरा कर लिया है। नए वाटर वक्र्स, इंटेकवेल व 19 जलमीनार में राइजिंग पाइप से पानी पहुंचाने का कंपनी डिजाइन तैयार कर रही है। दो दिनों में वाटर वक्र्स परिसर का मिट्टी जांच करने के लिए कोलकाता की टीम भागलपुर आएगी। हाउसिंग बोर्ड के समीप कंपनी वर्कशेड बनाएगी। शीघ्र ही जलापूर्ति योजना में उत्पन्न हुई समस्या का समाधान कर लिया जाएगा।