नहाय-खाय के साथ आस्था का महापर्व छठ शुरू हो जाता है और चार दिन तक श्रद्धालुओं द्वारा छठ मैय्या की पूजा अर्चना की जाती है। खरना के बाद व्रतियों का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। व्रतियों द्वारा इस दिन केवल केवल गुड़ व कद्दू की खीर का सेवन किया जाता है। छठ पर्व में व्रत के दौरान व्रतियों सूर्य देव को दो अर्घ्य दिए जाते हैं। गुरुवार को गोसाईं गाँव, बड़ी मकंदपुर सहित गोपालपुर प्रखंड एवं नवगछिया अनुमंडल क्षेत्र के गंगा घाट पर व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। सूर्यास्त होने से पहले ही गंगा नदी किनारे श्रद्धालु पहुंचने शुरू हो गए थे। विधि-विधान के साथ पूजा की थाली में श्रद्धालुओं ने प्रसाद रखा। जैसे-जैसे सूर्यास्त होता रहा व्रतियों ने उसी तरफ सूर्य देव को पहला अर्घ्य दिया। बताया गया कि खरना के बाद यह पहला अर्घ्य दिया गया है। व्रती छठ मैय्या के गीत गाते हुए पहुंची। उत्साह और उमंग के साथ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को पहला अर्घ्य दिया। गुरुवार सुबह व्रतियों द्वारा उदयगामी सूर्य को दूसरा व अंतिम अर्घ्य दिया जाएगा इसके बाद व्रत खोला जाएगा।