आस्था के महापर्व छठ को लेकर गोसाई गाँव गंगा घाट पर ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी थी । सैकड़ों वर्षों से लगातार हर वर्ष छठ महापर्व पर पूरे गाँव के लोग जमीन दारी बांध के समीप गंगा तट पर पहुंचते हैं और गंगा में ही छठ महापर्व मनाते हैं । वहीं मौके पर पंडित राधा कृष्ण झा ने बताया कि यह सैकड़ों वर्षो से चलता आ रहा है । उन्होंने अपने दादा को ही घाट पर छठ करते देखा था और वर्षो से यहां का इतिहास रहा है कि पूरे गोसाई गांव में कहीं भी गड्ढा खोदकर या तालाब बना कर नहीं किया जाता है । सभी लोग गंगा तट पर ही जाकर छठ पर्व मनाते हैं वही मौके पर उपस्थित सुमन झा ने बताया कि उनका मायका सहरसा है जहां तालाब बनाकर छठ किया जाता है .
लेकिन जब वह अपने ससुराल गोसाईगांव आई तो पता चला यहां गंगा में ही छठ होता है वह प्रत्येक वर्ष छठ में शामिल होने गांव जरूर आती है व बाहर रहती है लेकिन छठ महापर्व गोसाई गांव के गंगा तट पर की मनाती हुई । मौके पर उपस्थित ग्रामीणों ने बताया कि उसने गांव में छठ महापर्व का गंगा तट पर होना सैकड़ों वर्षो का एक इतिहास है । गुरुवार की अहले सुबह व्रतियों ने उत्साह से सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया।
गोसाईं गाँव गंगा नदी में खड़े होकर व्रतियों ने अर्घ्य देने की प्रक्रिया को पूरा किया और छठ मैय्या से मनौतियां मांगी। पूजा की थाली में प्रसाद व फल लेकर व्रतियां छठ मैय्या के गीत गाती हुई गंगा नदी किनारे पहुंची। अहलें सुबह से ही गोसाईं गांव के जमींदारी बांध के समीप श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़नी शुरू हो गई थी। वही गुरुवार को सूर्य अर्घ देने के बाद कई ग्रामीण भक्तों द्वारा अपने बच्चे का मुंडन भी घाट पर किया गया पूछने पर एक महिला ने बताया कि छठ महारानी से कबूलती करने के बाद बच्चे का मुंडन घाट पर किया जाता है ।