…….. खगड़ा कार्तिक मंदिर……
… बात लगभग 150 साल पहले की है जब कार्तिक पूजा के आयोजन की शुरुआत हुईं ।
कहा जाता है की खगड़ा अलकापुरी में सतभैया कुमर परिवार के दो किशोर के द्वारा मूर्ति बना कर खेल खेल में हीं भगवान कार्तिकेय और श्री गणेश जी की प्रतिमा बनाकर पूजा किया गया और जैसे हीं मूर्ति उठाने का प्रयास किया गया तो फिर मूर्ति उठ हीं नहीं रहा था , बच्चे की इन तमाम गतिविधि पर परिवार के बुजुर्गों की नजर थी।
जब मूर्ति नहीं उठ रहा था तब सभी जिम्मेदार लोगों के द्वारा भगवान की विधिवत पूजन की गई और ये संकल्प लिया गया की अब ये पूजन प्रति वर्ष किया जाएगा ये सभी खेल जो किया जा रहा था उस दिन कार्तिक माह की पूर्णिमा तिथि थी,
तब से अनवरत प्रत्येक वर्ष कार्तिक माह की चतुर्दशी की रात्रि को भगवान कार्तिकेय की प्रतिमा श्री गणेश जी और मां लक्ष्मी और मां सरस्वती के साथ स्थापित की जाती है और विधि पूर्वक पूजा किया जाता है।
वर्तमान में इस पूजा का आयोजन श्री रघुनंदन कुमर के द्वारा समस्त कुमर परिवार के सहयोग से संपादित किया जा रहा है, इस कार्यक्रम में समस्त ग्रामीण का सहयोग भी बना रहता है,
अभी इस पूजा आयोजन में निर्मल कुमार, आलोक कुमार, अतुल कुमार, राहुल कुमार और सभी युवाओं का योगदान सराहनीय है।