- काले दिनों को याद कर अभी भी कांप जाता हूं – अजय कुमार
नवगछिया – मई माह में कोरोना संक्रमित हुए नवगछिया अनुमंडलीय अस्पताल के एड्स परामर्शी अजय कुमार के लिये कोरोना संक्रमण के बाद की स्थिति बेहद दुखद और पीड़ादायक रहा. अजय कहते हैं कोरोना कोई बड़ी बीमारी नहीं है. होने के बाद तो पता भी चलता है कि आखिर यह बीमारी है क्या ? लेकिन कोरोना संक्रमित होने के बाद समाज से जो उसके साथ भेदभाव किया यह काफी पीड़ादायक और असहनीय रहा. अजय कहते हैं कि ड्यूटी के ही क्रम में के कब कोरोना संक्रमित हो गए उन्हें पता भी न चला.
रिपोर्ट आते ही वे जेएलएनएमसीएच में भर्ती हुए और दूसरी तरफ बूढ़ानाथ स्थित उनके परिवार के सदस्यों के साथ भेदभाव किया जाने लगा. जबकि उनके परिवार के किसी भी सदस्य को कोरोना नहीं था. घर से बाहर आने जाने का रास्ता बंद कर दिया गया. दोबारा जांच के बाद जब उनका रिपोर्ट नेगटिव आया तो वे 21 मई को घर गए लेकिन नेगटिव आने के बाद भी उनके साथ भेव भाव जारी रहा. कोई भी उनसे बात करना नहीं चाह रहा था. दुकान जाने के बाद दुकानदार निर्धारित डिस्टेंस से भी ज्यादा उनसे दूरी बनायी गयी. यहां तक कि उन्हें सत्यनारायण भगवान की पूजा कराने के लिये कोई पंडित भी नहीं मिल रहा था. हर कोई जो अपना था, उसने साथ छोड़ दिया. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस बीमारी से ज्यादा भयावह इसके प्रति समाज मे व्याप्त भ्रांति है. आज भी वे उस काले दिन को याद कर कांप जाते हैं. अजय ने कहा कि शहर के लोग तो अब कुछ हद तक जागरूक हो गए हैं लेकिन आज भी गांवों में इस बीमारी के प्रति काफी भ्रांतियां हैं. जिसे दूर करने की जरूरत है.
इस तरह ठीक हुए अजय
अजय ने कहा कि उन्हें कोरोना का कोई भी लक्षण नहीं था. फिर भी उन्होंने विटामिन सी और बी की पूरी खुराक ली. गिलोय का जूस वे नियमित रूप से आज भी ले रहे हैं. खान पान के रूटीन में सुधार कर लिया और ज्यादा पौष्टिक आहार लिया. वे जुलाई माह के शुरूआती सप्ताह से ही पुनः ड्यूटी पर आ गए थे.