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भागलपुर: मुलाकाती व्यवस्था बंद होने के कारण कैदियों को घरों से आने वाला सूखा नाश्ता नहीं मिल पा रहा है। ऐसी स्थिति में उन्हें जेल की कैंटीन में मिलने वाले समोसा और लौंगलता से काम चलाना पड़ रहा है। ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले परिजन जेल गेट के पास से रोज लौटते हैं। उन्हें ई-मुलाकात के कायदे पता नहीं होता। घरों से चूड़ा, मूंगफली, चना, चावल का भूजा, ठेकुआ, नमकपारा आदि लेकर आने वाले परिजन रोज लौट रहे हैं। शहीद जुब्बा सहनी केंद्रीय कारा, विशेष केंद्रीय कारा और महिला मंडल कारा में बंद कैदियों को घर से सूखे नास्ते का नहीं आना अखरने लगा है। लॉकडाउन में 23 मार्च से मुलाकाती व्यवस्था स्थगित है। वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए परिजन से बातें तो होने से उन्हें काफी राहत है। खुशी इस बात की है कि परिजन को बातचीत के क्रम में देख भी ले रहे हैं। पर मुलाकाती व्यवस्था स्थगित होने से घरों से उनके लिए आने वाले सूखे खाद्य पदार्थ आने बंद हो गए हैं।

घरों से आने वाला सूखा नाश्ता कैदी स्टाक में रखते हैं

वीसी में हो रही बातचीत में चूड़ा, बादाम और दालमोठ का मिक्स नास्ता नहीं आने का जिक्र ही ज्यादा होता है। जिन्हें ई-मुलाकात के कायदे नहीं मालूम उन परिजन को ज्यादा परेशानी है। घरों से आने वाला सूखा नाश्ता कैदी स्टाक में रखते हैं। जेल में मिलने वाले भोजन के अलावा रोज सुबह-शाम उसे खाते हैं। अब वह स्टाक खत्म हो चुका है। बुधवार को कुछ परिजन जेल आइजी के आगमन को देखते हुए उनके समक्ष इस समस्या को रखने की सोची पर उनसे मुलाकात का समय निर्धारित नहीं हो सका। नाथनगर से आए महेश प्रसाद ने बताया कि सूखा नाश्ता अगर कैदी तक पहुंच जाए तो उन्हें परेशानी से निजात मिल सकेगा। जेल कैंटीन से नाश्ता खरीदने को उनके पास पैसे भी नहीं होते। इधर जेल उपाधीक्षक राकेश कुमार सिंह कहते हैं कि वर्तमान समय में कोरोना संकट से रक्षा प्राथमिकता में है। मुलाकाती व्यवस्था कारा मुख्यालय के निर्देश पर सूबे में स्थगित है। वैकल्पिक व्यवस्था में वीडियो कांफ्रेंसिंग की व्यवस्था की गई है ताकि कैदी और परिजन परेशान ना हों।

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