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तकनीकी सत्रों में दर्जनों रिसर्च स्कॉलर ने दिया प्रेजेंटेशन ।

छोटे-छोटे प्रयासों से ही बड़े मुकाम हासिल किए जा सकते हैं : डॉ फारूक अली।

भागलपुर। तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय (टीएमबीयू) के पीजी जूलॉजी विभाग में चल रहे दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का शनिवार को समापन हो गया।
सेमिनार का आयोजन तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय के पीजी जूलॉजी विभाग और एग्रो इकोनॉमिक रिसर्च सेंटर बिहार-झारखंड, भारत सरकार के सहयोग से किया गया था। सेमिनार का विषय रिसर्च मेथोडोलॉजी के विभिन्न आयाम रखा गया था।

शनिवार को दूसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता रांची विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभाग की प्रोफेसर बंदना कुमारी ने की। इस सेशन में जर्मन लिंगुइस्टिक विभाग जेएनयू नई दिल्ली के डॉ अभिमन्यु शर्मा ने ऑनलाइन मोड में पीपीटी द्वारा अपना प्रेजेंटेशन दिया। उन्होंने शोध में हाइपोथिसिस निर्माण की बारीकियों से अवगत कराया। उन्होंने एब्स्ट्रैक्ट लेखन की विधि बतलाया। एब्स्ट्रैक्ट लिखते वक्त किन-किन चीजों को शोधार्थियों को ध्यान में रखने की जरूरत है, उस पर बल दिया। उन्होंने कहा कि रिसर्च पेपर लिखते समय पेपर में लक्ष्य, उद्देश्य, प्रविधि, निष्कर्ष और सुझाव जरूर शामिल करना चाहिए।
रिसर्च पेपर तथ्यपरक होने चाहिए। साथ ही बिबिलियोग्राफी व संदर्भ लेखन के बारे में भी उन्होंने विस्तार से बतलाया।

नागालैंड यूनिवर्सिटी के जूलॉजी विभाग के शिक्षक डॉ प्रणय पुंज पंकज ने रिसर्च एथिक्स और प्लेजेरिज्म के बारे में विस्तार से अपने विचार रखे।

वहीं, तीसरे तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रोफेसर तपन कुमार घोष ने किया। इस सत्र में टीएनबी कॉलेज के रसायन विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ गरिमा त्रिपाठी ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से प्रतिभागियों को रिसर्च प्रविधि की बारीकियों और चरणों से अवगत कराया। डॉ त्रिपाठी ने रिसर्च प्रॉब्लम्स, डेटा एनालिसिस, स्किल, रिसर्च के लिए व्यवस्थित योजना आदि की चर्चा की। उन्होंने कहा की रिसर्च में अवलोकन और विश्लेषण जरूरी पहलू है। एक अच्छे रिसर्च के गुणों का भी उन्होंने जिक्र किया। जिसमें उन्होंने ऑब्जर्वेशन, पारस्परिक विचार-विमर्श और सोचने-समझने की प्रवृति आदि पर बल दिया।
बीएचयू वाराणसी आईसीएमआर के रिसर्च एसोसिएट डॉ निशांत कुमार राणा ने साइंटिफिक रिसर्च और उसके मौलिक संघटक पर व्याख्यान दिया। डॉ राणा ने रिव्यू ऑफ लिट्रेचर, उपकल्पना, ऑब्जेक्टिवस, प्रविधि, तथ्य संकलन आदि की चर्चा की।

वहीं, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय आरा के जूलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ डीएन पंडित ने रिसर्च मेथोडोलॉजी के बदलते परिप्रेक्ष्य में अपने विचार रखे। जिसमें उन्होंने पीएचडी थीसिस लिखनेकी प्रक्रिया से प्रतिभागियों को अवगत कराया।

इन्होंने दिया प्रेजेंटेशन-

तकनीकी सत्र में आसिफ इकबाल, किम्मी कुमारी, सुरभि, मो. दानिश मसरूर, राज रंजीत, दीप्ती नवल, डॉ गोपाल शर्मा, शिपु कुमारी, रुचि, अयन्तिका भारद्वाज सहित कई प्रतिभागियों ने अपना प्रेजेंटेशन दिया। मौके पर ओपन सेशन के दौरान सवाल-जबाव भी किये गए।

तकनीकी सत्रों के बाद मूल्यांकन सेशन सह समापन समारोह आयोजित हुआ। समापन समारोह में बतौर अतिथि जेपी विश्वविद्यालय छपरा के कुलपति प्रो. फारूक अली और बीएनएमयू मधेपुरा के पूर्व कुलपति प्रो. अवध किशोर राय
ने भाग लिया।
जेपी यूनिवर्सिटी छपरा के कुलपति डॉ फारूक अली ने कहा कि कई छोटे-छोटे प्रयास से ही बड़ा मुकाम और सफलता हासिल किया जा सकता है। उन्होंने शोधार्थियों को आगाह किया कि वे असफलता से कतई न घबराएं। लक्ष्य बनाकर सार्थक दिशा में किया गया प्रयास ही सफलता का द्योतक है। उन्होंने कहा कि वचन और कर्म बड़ा होना चाहिए। डॉ अली ने छात्रों से स्वावलंबी बनने को कहा साथ ही एक अच्छे रिसर्चर बनने की नसीहत दी।
वहीं, बीएनएमयू मधेपुरा के पूर्व कुलपति डॉ एके राय ने सेमिनार को काफी सराहा और कहा कि छात्र अपने लक्ष्य का निर्धारण कर उसपर ईमानदारी पूर्वक अमल करें। उन्होंने कहा कि आप आगे बढ़ते जाइये, लक्ष्य आपको मिलते जाएंगे। इसके लिए अपने कार्य के प्रति प्रतिबद्धता बेहद जरूरी है। उन्होंने विभाग में इस तरह के आयोजन को लगातार कराते रहने को कहा ताकि छात्रों और शोधार्थियों का बौद्धिक विकास हो सके। इसके लिए उन्होंने विभाग में साप्ताहिक या मासिक सेमिनार के आयोजन पर भी बल दिया।

जेपी विश्वविद्यालय छपरा के कुलपति ने जूलॉजी विभाग में कॉन्फ्रेंस हॉल बनाने के लिए एक लाख रुपये सहयोग राशि देने का किया एलान।

सेमिनार के समापन समारोह में अपने संबोधन के दौरान जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के कुलपति व टीएमबीयू के पीजी जूलॉजी विभाग के शिक्षक रहे डॉ फारूक अली ने कहा कि विभाग में अत्याधुनिक कॉन्फ्रेंस हॉल बनाने के लिए वे एक लाख रुपये का आर्थिक सहयोग देने को तैयार हैं।
डॉ फारूक अली ने कहा कि विभाग के एल्युमिनी (पूर्ववर्ती छात्रों) के आर्थिक सहयोग से अत्याधुनिक कॉन्फ्रेंस हॉल का निर्माण कराया जा सकता है। मौके पर विभाग के शिक्षकों ने भी सहयोग करने की बात कही।

सेमिनार के कन्वेनर को कुलपति ने किया सम्मानित।

राष्ट्रीय सेमिनार के कन्वेनर व पीजी जूलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अशोक कुमार ठाकुर को मौके पर ही जेपी यूनिवर्सिटी छपरा के वीसी डॉ फारूक अली ने परिधान (बंडी) भेंट कर सम्मानित किया।

निधि सिन्हा को मिला बेस्ट पेपर प्रेजेंटेशन का अवार्ड, अरुणा मधुलता को बेस्ट पोस्टर अवार्ड।

राष्ट्रीय सेमिनार के तकनीकी सत्र में सबसे उत्कृष्ट पेपर प्रस्तुत करने के लिए पीजी जूलॉजी विभाग की रिसर्च स्कॉलर निधि सिन्हा को बेस्ट पेपर प्रेजेंटेशन अवार्ड दिया गया।
जबकि अरुणा मधुलता को बेस्ट पोस्टर अवार्ड दिया गया।
दोनों अवार्डों की घोषणा टीएमबीयू व बीएनएमयू के पूर्व कुलपति प्रो. एके राय ने किया।
इसके पूर्व जेपी यूनिवर्सिटी छपरा के कुलपति डॉ फारूक अली, टीएमबीयू के पूर्व कुलपति डॉ एके राय और विशिष्ट अतिथि के रूप में भागलपुर के युवा फिजिशियन डॉ ऋषि आनंद आदि ने प्रतिभागियों द्वारा लगाए गए पोस्टर प्रदर्शनी का निरीक्षण किया गया।

सभी तकनीकी सत्रों के रैपोर्टियर की भूमिका में टीएमबीयू के पीआरओ डॉ दीपक कुमार दिनकर थे। डॉ दिनकर ने मुख्य रैपोर्टियर के रूप में दो दिवसीय सेमिनार के सार को वेलिडिक्टरी सेशन के दौरान रखा।
जबकि मंच संचालन सेमिनार की आयोजन सचिव डॉ नवोदिता प्रियदर्शिनी कर रही थी।
अतिथियों का स्वागत पीजी जूलॉजी विभाग के हेड व सेमिनार के कन्वेनर प्रो. अशोक कुमार ठाकुर ने किया।
धन्यवाद ज्ञापन डॉ इकबाल अहमद ने किया। आयोजन पीजी जूलॉजी विभाग स्थित जेएस दत्ता मुंशी सभागार में किया गया।
सेमिनार में भाग लिए सभी प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी दिया गया। राष्ट्रगान से सेमिनार का समापन किया गया।

सेमिनार में इनकी रही उपस्थिति-

डॉ धर्मशीला, डॉ डीएन चौधरी, डॉ बन्दना कुमारी, डॉ ऋषि आनंद, डॉ संजय भारती, डॉ केसी झा, डॉ केएम सिंह, डॉ मधुलिका सहाय, प्रोग्राम कॉर्डिनेटर अतुल समीरन, राहुल नयन, वर्षा आनंद, प्राची, डेविड यादव सहित बड़ी संख्या में विभिन्न विश्वविद्यालयों से आए शोधार्थी और छात्र-छात्राएं मौजूद थे।

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