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बिहार के सहरसा जिले में एकमात्र सरकारी टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज की मान्यता रद्द कर दी गई है। अब कॉलेज में 2020-21 के सत्र में छात्र-छात्राओं का नामांकन नहीं होगा। राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद इस्टर्न रिजनल कमिटी की ऑनलाइन बैठक में अध्यापक शिक्षा महाविद्यालय (सीटीई) की मान्यता समाप्त करने का फैसला लिया गया। 

कॉलेज की मान्यता सभी मूल कागजातों की जांच के बाद की गई। इस्टर्न रिजनल कमिटी राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद की बैठक 24 व 25 अगस्त को ऑनलाइन हुई थी। कमिटी के सदस्यों ने एनसीटीई एक्ट के तहत कॉलेज के कागजात की जांच की थी। उसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी मिली थी। कमिटी ने पाया गया कि कालेज ने शिक्षकों की मूल सूची जमा नहीं की है।

 भवन से सबंधित प्लान, खाता नंबर, खेसरा नबंर, पूरा क्षेत्रफल भी सही नहीं है। यह सरकारी इंजीनियर के द्वारा अभिप्रमाणित भी नहीं है। भवन प्लान और भवन निर्माण में भी काफी अंतर है। वर्तमान बिल्डिंग निर्माण से संबधित कागजात भी नहीं भेजा गया है। आग लगने की स्थिति में कालेज सुरक्षित नहीं है क्योंकि फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट भी नहीं है।

ट्रेनिंग कालेज की वेबसाइट भी नियमों के अनुसार अपडेट नहीं है। जबकि मान्यता प्राप्त सभी टीचर्स ट्रेनिंग कालेज की बेवसाइट अपडेट होनी चाहिए। 1976 से संचालित टीचर्स ट्रेनिंग कालेज को 2012 में बीएड और 2017 में एमएड पढ़ाई शुरू करने के लिए मान्यता दी गई थी। 

मालूम हो कि इससे पूर्व राजेन्द्र मिश्र कॉलेज (आरएम कॉलेज) के बीएड की मान्यता समाप्त कर दी गई थी। इसके बाद सीटीई की मान्यता समाप्त होने से 200 छात्र-छात्रा बीएड नहीं कर पाएंगे। कॉलेज प्राचार्य जयकांत पासवान ने बताया कि उन्होंने 14 अगस्त को ही पदभार संभाला है। पूरी जानकारी ली जा रही है।

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