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नवगछिया – अंगक्षेत्र एवं सती बिहुला की जन्मभूमि नवगछिया में प्रतिवर्ष 17 अगस्त को मनाये जानेवाले बिहुला विषहरी पूजा की तैयारी में  पुजा से जुड़े श्रद्धालु जुटे हुए हैं. प्रत्येक वर्ष 17 अगस्त को मनाये जाने वाले इस पूजन को लेकर नवगछिया बाजार के बिहुला चौक के पास मनसा विषहरी मंदिर सहित विषहरी मंदिर हडिया पट्टी में  में इस बार भी जोर-शोर से तैयारी की जा रही है.

पंडालों का निर्माण कार्य किया जा रहा हैं पुजा समिति के अध्यक्ष विमल किशोर पोद्दार ने बताया कि बंगाल की ढाक और स्थानीय शहनाई से माता की आराधना की जाएंगी इसके अलावा 17 अगस्त को बिहुला विषहरी पुजा से जुड़ी झांकी का प्रर्दशन भी किया जाएगा. 17 अगस्त को सुबह प्रतिमा पूजन के साथ आयोजन का शुभारंभ होगा 17 को ही मध्य रात्रि में जब सिंह नक्षत्र प्रवेश करता है.

इससे पहले रात्रि में बाला लखेन्द्र की बारात निकाली जाती है और बिहुला से विवाह संपन्न होता हैं हरेक साल लोग डलिया, दूध व लावा का भोग लगाते हैं. कहीं-कहीं मंजूषा का विसर्जन होता है. भगत की पूजा समाप्त होती है. दोपहर में मनौन-भजन कार्यक्रम का आयोजन होता है. उजानी की बिहुला का शादी चम्पानगर के बाला लखेन्द्र के साथ हुई थी. जिसे सुहाग रात में ही सर्पदंश से हुई मौत के बाद सती बिहुला ने उनके शव को लेकर गंगा के मार्ग से यात्रा कर भगवान शिव की कृपा से उन्हें जीवित कराया था. तभी से इस परिक्षेत्र में बिहुला विषहरी की पूजा शुरू हुई.

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